रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में रीएजेंट सप्लाई में गड़बड़ी को लेकर निशाने पर रहे दुर्ग के मोक्षित कार्पोरेशन पर ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने ताबड़तोड़ छापे मारे। अलग -अलग टीमों ने एमडी शशांक गुप्ता के बंगले, फैक्ट्री और पार्टनरों सहित दुर्ग-भिलाई के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी यह मामला उठा था। उसके बाद एसीबी, ईओडब्ल्यू ने 22 जनवरी को मोक्षित कार्पोरेशन के खिलाफ अपराध दर्ज किया था।
छापे की कार्रवाई में एसपी- डीएसपी रैंक के अफसरों के अलावा छत्तीसगढ़ मोडिकल सर्विसेस के साथ संचालनालय, स्वास्थ्य विभाग के अफसर शामिल रहे। दुर्ग के गंजपारा स्थित मोक्षित कार्पोरेशन के साथ जीई रोड स्थित सीबी कार्पोरेशन, हरियाणा के पंचकुला, रायपुर के धरसीवा, तर्रा स्थित श्री शारदा इंडस्ट्रीज में एसीबी, ईओडब्लू की टीम ने पड़ताल की। भ्रष्टाचार के इस मामले में एसीबी ने कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा-409, 120 बी तथा 13(1) ए, सहपठित धारा 13 (2), 7 (सी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत अपराध दर्ज किया है।
मिलीभगत से सरकार को अरबों की चपत लगाई गई
ACB-EOW ने अपनी FIR में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है। FIR में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की MD पर गंभीर टिप्पणी की गई है। इस FIR के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं। इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी। EOW की जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपये की चपत लगाई गई।
इलेक्ट्रानिक के साथ निवेश संबंधित दस्तावेज जब्त
एसीबी ने मोक्षित कार्पोरेशन से जुड़े लोगों के कार्यालय के साथ निवास में भी जांच की। इस दौरान जांच टीम ने कारोबारी के ठिकानों से लेन-देन संबंधित तथा माल आपूर्ति करने पूर्व में लिए गए टेंडर के दस्तावेज के साथ कई महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज मिलने का दावा भी किया जा रहा है।
ऐसे केंद्र में उपकरण भेजे जहां रखने की जगह नहीं
आरोप है कि मोक्षित कार्पोरेशन ने अपनी पहुंच के आधार पर अफसरों पर दबाव डालकर प्रदेश के 30 जिलों के साथ 750 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 170 स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट आपूर्ति करने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट्स संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई करने का आरोप है।
660 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया
मोक्षित कार्पोरेशन की रीएजेंट तथा मशीन आपूर्ति कराने में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठा था। रीएजेंट तथा मशीन आपूर्ति कराने वाली कंपनी के खिलाफ पांच साल में 660 करोड़ रुपये से ज्यादा के गड़बड़ी करने का आरोप है। यह भी आरोप है कि कंपनी ने मशीन तथा रीएजेंट मार्केट दर से कई गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जहां जरूरत नहीं थी, वहां सप्लाई करने से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। रीजेंट्स एक्सपायर हो गए।
अन्य कंपनी टेंडर से बाहर हो जाती थी
दवा सप्लाई करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन ने मार्च-अप्रैल 2023 में स्वास्थ्य केंद्रों में मशीन तथा रीएजेंट आपूर्ति करने का काम शुरू किया है। कंपनी पर यह भी आरोप है, टेंडर प्रक्रिया में कोई दूसरी कंपनी शामिल न हो पाए इसलिए मोक्षित कार्पोरेशन पर शेल कंपनी बनाकर टेंडर लेने फार्म जमा किया जाता था। कोई अन्य कंपनी टेंडर में शामिल होता था, उस कंपनी को तकनीकी कारण बताकर टेंडर से बाहर कर दिया जाता था।
साढ़े आठ रुपये का उपकरण दो हजार में
ब्लड सैंपल लेने के काम आने वाला ट्यूब ईडीटीए बाजार में महज साढ़े आठ रुपये में मिलता है, लेकिन उस ट्यूब को मोक्षित कार्पोरेशन ने दो हजार 352 रुपये में उपलब्ध कराया था। इसी तरह सीबीसी मशीन जिसकी कीमत पांच लाख रुपये है, उस मशीन को मोक्षित कार्पोरेशन ने तीन गुना से ज्यादा कीमत 17 लाख रुपये में प्रदेश के अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराने का काम किया है। रीएजेंट में 660 करोड़ रुपये की गड़बड़ी करने का आरोप है।