कोरबा। छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरबा जिले में हाथियों ने दो महिलाओं को कुचल दिया, जबकि 2 लोगों को गंभीर रूप से घायल है। घायलों को कोरबा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूचना पर वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची है। ग्रामीणों को हाथी विचरण क्षेत्र से दूर रहने मुनादी कराई जा रही है। हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने वन विभाग के कर्मियों को अलर्ट रहने भी कहा गया है। बिलासपुर रेंज में पिछले पांच वर्षों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हाथियों के हमले से हो चुकी है।
मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा जिले के कटघोरा वनमण्डल के चोटिया डंप एरिया में 41 हाथियों की मौजूदगी है। रविवार को ग्राम कोरबी के रहने वाले नारसिंह उनकी पत्नी राजकुमारी, बहन पुन्नी बाई और भांजा दीपक सिंह करील व पुटु लेने जंगल गए हुए थे। इसी दौरान दंतैल हाथियों से ग्रामीणों का सामना हो गया। हाथियों के हमले से 2 महिलाओं की मौके पर मौत हो गई। वहीं दो लोग घायल हुए हैं। मृतक और घायल एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं। हाथियों के हमले में ननद और भाभी की मौत हुई है। वहीं भांजा दीपक और मृतक महिला का पति नारसिंह घायल है। घटना की जानकारी मिलते ही कटघोरा वनमण्डल के डीएफओ कुमार निशांत व रेंजर पोंडी उपरोडा सामुदायिक अस्पताल पहुंचे।
हाथियों को जंगल में खदेड़ने की कोशिश जारी
डीएफओ कुमार निशांत ने बताया कि केंदई और ऐतमा नगर रेंज में 41 हाथियों का दल जंगल में विचरण कर रहा है। हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। झुंड से बिछड़े दंतैल हाथियों का ग्रामीणों से आमना-सामना हो गया। वन विभाग ने ग्रामीणों को हाथी विचरण क्षेत्र में नहीं जाने की मुनादी कराई है, बावजूद ग्रामीण जंगल में चले जाते हैं और हादसे का शिकार होते हैं। वन विभाग की टीम हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहा हाथी-मानव संघर्ष
छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में मानव-हाथी संघर्ष पिछले एक दशक से चिंता का प्रमुख कारण है। सरगुजा, जशपुर, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, अंबिकापुर और बलरामपुर जिले में यह बड़ा खतरा बना हुआ है। वन विभाग के दस्तावेज़ों के अनुसार सितंबर 2002 में राज्य में केवल 32 हाथी थे। 2007 में यह आंकड़ा 122 और 2017 में 247 पहुंच गया। 2022 तक छत्तीसगढ़ में कम से कम 350 से 400 हाथी स्थाई रूप से रह रहे हैं। हाथियों के 16 दल अलग-अलग क्षेत्रों में विचरण कर रहे हैं। एक साल पहले की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हाथियों के हमले में 296 लोगों की मौत हो चुकी है।