रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन का पीएससी चयन परीक्षा को लेकर जवाब आया है। जनसंपर्क विभाग ने कहा कि पीएससी चयन से संबंधित याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई है। महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार इसमें राज्य सरकार के द्वारा न्यायालय के समक्ष यह वक्तव्य दिया गया कि हम उक्त प्रकरण की स्वयं जांच कर माननीय न्यायालय के समक्ष जवाब पेश करेंगे। जब तक मामले के अगली सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक इस विषय को बढ़ावा न देकर जिन व्यक्तियों पर आक्षेप लगा है और उनकी नियुक्ति नहीं हुई है, उसको आगे अंतिम रूप नहीं दिया जायेगा एवं जिनकी नियुक्तियां हो चुकी है वह यथास्थिति कोर्ट आदेश के अधीन रहेगी।
माननीय न्यायालय ने उक्त वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लेते हुए याचिका की अगली सुनवाई एक सप्ताह के बाद रखी है। कोर्ट ने राज्य सरकार तथा पीएससी को आदेश दिया है कि जो सूची याचिकाकर्ता के द्वारा पेश की गई है, उसके तथ्यों की सत्यता के संबंध में भी जांच कर ले। याचिकाकर्ता को निर्देशित किया गया है कि वह चयनित व्यक्तियों को पक्षकार बनाये और अपनी याचिका में निर्धारित संशोधन कर पेश करें। न्यायालय के द्वारा याचिकाकर्ता को भी सचेत किया गया है कि अगर याचिकाकर्ता की जानकारी गलत पाई गई तो उसके विरुद्ध भी न्यायोचित कार्यवाही की जायेगी।
‘अफसरों व नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी का आरोप’
बता दें कि पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने अपनी याचिका में राजभवन के सचिव के बेटे और बेटी के डिप्टी कलेक्टर बनने के साथ ही PSC चेयरमैन के कई रिश्तेदारों, राज्य शासन के उच्च पदों पर बैठे अफसरों के पुत्र-पुत्रियों और रिश्तेदारों, कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों के सिलेक्शन पर प्रश्न खड़ा करते हुए कहा है कि PSC में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी, बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टचार भी किया है। वहीं एक दिन पहले भाजपा नेता ओपी चौधरी ने PSC की परीक्षा पर सवाल उठाया था। उन्होंने रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर सीबीआई जांच की मांग उठाई। पीएससी परीक्षा 2021 पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 18 की नियुक्ति पर रोक लगाया है।