नई दिल्ली-रायपुर. न्यूजअप इंडिया
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित पांच राज्यों में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले प्रदेश सरकारें जबरदस्त पैसे उड़ा रही हैं। अब इसी को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकारें चुनावों से पहले मुफ्त की रेवड़ियां बांट रही है। इन पर रोक लगाई जाए। इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। छत्तीसगढ़ सहित चुनावी राज्यों में राजनीतिक पार्टियां ‘रेवड़ी कल्चर’ के सहारे चुनावी नैय्या पार करना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग तथा भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्य की सरकारें मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही हैं। याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि ‘‘चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता। हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता है।’’ कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
‘फ्रीबीज से आर्थिक आपदा की ओर बढ़ेगा देश’
सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर से संबंधित चल रही अन्य याचिकाओं को भी एक साथ जोड़ दिया है। सभी मामलों की सुनवाई अब एकसाथ होगी। इससे पहले जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने फ्रीबीज के खिलाफ जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई है। याचिका में चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की थी। इसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने अश्विनी से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की थी। केंद्र ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो को देश को आर्थिक आपदा की ओर ले जाएगा।
क्या है ‘मुफ्त रेवड़ी कल्चर और ‘फ्रीबीज़’ जानिए
फ्रीबीज़ या रेवड़ी वे वस्तुएं और सेवाएं हैं जो उपयोगकर्ताओं को बिना किसी शुल्क के मुफ्त में मिलती है। जिन्हें मुफ्त की योजनाएं मिल रही हैं वो कहते हैं फ्रीबीज सही है, लेकिन जो टैक्सपेयर हैं और जिनकी कमाई का कुछ हिस्सा टैक्स में जाता है वो इसे गलत बताते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके फ्रीबीज पर एक्शन की बात कही गई है। फ्रीबीज पूरे देश में है, लेकिन इसकी शुरुआत दक्षिण भारत से हुई है और क्षेत्रीय पार्टियों ने इसे आगे बढ़ाया। दक्षिण भारत में जयललिता से लेकर तमाम ऐसे नेता रहे, जिन्होंने हर चुनाव में फ्रीबीज को हथियार बना दिया। ये दक्षिण से चलकर अब उत्तर और मध्य भारत तक आ गया। अब यह सिलसिला हर राजनीतिक दल ने बना लिया है। सभी राजनीतिक दल मुफ्त वादे करने शुरू कर दिए। राजनीतिक पार्टियां रेवड़ी के भरोसे चुनावी नैय्या पार करना चाहती है।