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Sunday, November 17, 2024

7 बार के विधायक को चुनौती देने BJP ने खेला कट्टर हिन्दुत्व का कार्ड, रविंद्र चौबे V/S ईश्वर साहू, साजा की सियासत में कौन पड़ेगा किस पर भारी…?

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बज चुका है। भाजपा ने 86 प्रत्याशियों और कांग्रेस ने 83 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। प्रत्याशी घोषित होने के बेमेतरा जिले का साजा विधानसभा सीट काफी हाईप्रोफाइल हो गया है। साजा में इस बात की चर्चा है कि इस बार सियासत कौन सी करवट लेगा? हर किसी के जुबान पर बस यही सवाल उठ रहा है कि बीजेपी ने यहां बड़ा दांव खेलते हुए बिरनपुर हिंसा में मारे गए युवक के पिता ईश्वर साहू को टिकट दिया है। ईश्वर साहू का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है, लेकिन भाजपा ने कट्टर हिन्दुत्व का कार्ड खेलकर सियासी माहौल को गरमा दिया है।

साजा विधानसभा से 7 बार चुनाव जीत चुके दिग्गज नेता रविंद्र चौबे के सामने भाजपा ने बिरनपुर हिंसा के पीड़ित ईश्वर साहू को मैदान में उतारा है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कौन किस पर भारी पड़ेगा? यह बड़ा सवाल साजा इलाके में इसलिए भी सबकी जुबां पर है, क्योंकि भाजपा ने एकदम आम पृष्ठभूमि के किसान मजदूर ईश्वर साहू को मैदान में उतारा है। छत्तीसगढ़ के सियासी इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब पूरी तरह से सांप्रदायिकता के शिकार गरीब को फ्रंट फुट पर रखकर कोई चुनाव लड़ा जा रहा है। साजा सीट को लेकर जबर्दस्त राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। बहरहाल, अब चुनावी परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि जनता ने किसका साथ दिया है।

साजा विधानसभा के बिरनपुर में क्या हुआ था?
साल-2023 के अप्रैल में साजा इलाके के बिरनपुर में दो समुदायों के बीच विवाद की स्थिति बनी। इसके बाद गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा में ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई। बच्चों के झगड़े से शुरू हुआ विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया। आग में कई घर जल गए। 4 दिन बाद गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के बाप-बेटे की हत्या कर दी गई। पखवाड़ेभर तक बिरनपुर में कर्फ्यू लगा रहा। पुलिस ने मामले में दोनों समुदाय के दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी की, लेकिन सबूतों के अभाव में सभी रिहा हो गए। अब इस मुद्दे को हिन्दुत्व से जोड़कर भाजपा भुनाने में लगी है।

साजा से लड़ने वाला ईश्वर साहू कौन जानिये…
साजा विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे ईश्वर साहू मजदूर और किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बिरनपुर गांव में रहने वाले ईश्वर साहू का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। एकदम गरीब और आम मजदूर ईश्वर साहू की सिर्फ इतनी ही पहचान है कि वो बिरनपुर हिंसा में मारे गए युवक भुवनेश्वर का पिता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने मृतक भुवनेश्वर साहू के परिवार के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी का ऐलान किया था, लेकिन पीड़ित परिवार ने इसे लेने से इनकार करते हुए कहा था कि उन्हें पैसा और सरकारी नौकरी नहीं बल्कि न्याय चाहिए।

साजा से 7 बार के विधायक हैं रविंद्र चौबे
7 बार साजा विधानसभा से चुनाव जीत चुके रविंद्र चौबे की गिनती कांग्रेस सरकार के सबसे ताकतवर मंत्रियों में होती है। अविभाजित मध्यप्रदेश में भी कैबिनेट मंत्री और छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके रविंद्र चौबे की पकड़ सिर्फ साजा विधानसभा ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में है। करीब चार दशक से सक्रिय राजनीति कर रहे रविंद्र चौबे को 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008 और 2018 में साजा विधानसभा से जीत मिली है। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे लाभचंद बाफना से पराजित हुए थे। इस बार लाभचंद बाफना की जगह ईश्वर साहू को टिकट दिया गया है।

भाजपा का हिंदुत्व कार्ड कितना काम करेगा?
भाजपा का यह हिंदुत्व कार्ड कितना काम करेगा, इसे तो जनता 17 नवंबर को ईवीएम की बटन दबाकर तय करेगी, लेकिन फिलहाल भाजपा से ईश्वर साहू और अब कांग्रेस से रविंद्र चौबे का नाम फाइनल हो जाने के बाद इस सीट पर आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो गई है। रविंद्र चौबे जैसे दिग्गज के सामने ईश्वर साहू के मुकाबले का नतीजा चाहे जो हो, लेकिन यह तो तय है कि पूरे प्रदेश की नजरें भाजपा के इस प्रयोग पर टिकी हैं। अमित शाह ने चुनावी सभा में ईश्वर साहू को सामने रखकर बिरनपुर मामले में कार्रवाई की बात कहकर सियासी माहौल को और गरमा दिया है।

‘चुनाव आयोग में शिकायत कर चुके कांग्रेसी’
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा के टिकट वितरण के दौरान कहा था कि ईश्वर साहू विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं। भाजपा लाख कोशिश करे, लेकिन बिरनपुर मुद्दा नहीं हो सकता। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव भी कह चुके हैं कि यह भावनाओं से खेलने का एक प्रयोग है। भाजपा सहानुभूति पाना चाहती है। कांग्रेस पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजनांदगांव की सभा को लेकर निर्वाचन आयोग तक पहुंच गई है। अमित शाह पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है।

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