रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच शुरू हो सकती है। भाजपा सरकार की पहली ही कैबिनेट बैठक में CBI जांच का प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री के चयन और शपथ ग्रहण के बाद कैबिनेट की बैठक होगी। ऐसे में CGPSC मामले को बैठक में रखने की कवायद शुरू कर दी गई है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर की सभा में सरकार बनने के बाद जांच कराने और दोषियों को सजा देने की बात कही है। सभा में पीएम के इस ऐलान के बाद युवाओं ने कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार उखड़ने का इसे एक बड़ा कारण भी माना जा रहा है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ पीएससी का मुद्दा में भाई-भतीजावाद का मामला खुलकर सामने आया था। भाजपा ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। भूपेश सरकार पर संरक्षण में कांग्रेस नेताओं और अफसरों के पुत्र-पुत्रियों को नौकरी देने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे पर खूब राजनीति भी हुई। प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के सभी चुनावी सभा में इसे प्रमुखता से उठाया और भुनाया। मोदी ने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो युवाओं के साथ हुए मजाक पर कार्रवाई की जाएगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। अब नई सरकार में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के साथ ही पीएससी घोटाले पर बड़ा फैसला लिया जाएगा। जिन अधिकारियों, कर्मचारियों ने ज्वाइन नहीं किया है, उनकी ज्वाइनिंग भी रोकी जाएगी। छत्तीसगढ़ में सीजीपीएससी में गड़बड़ी का मुद्दा इस चुनाव में प्रमुखता से छाया रहा। भाजपा ने इसे खूब भुनाया और इसका लाभ भी उसे चुनाव में मिला है।
हाईकोर्ट में CBI जांच का आग्रह कर चुकी है BJP
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही पीएससी में गड़बड़ी की जांच की घोषणा की जाएगी। इसके लिए एसआईटी जैसे किसी आयोग का गठन किया जा सकता है। जाहिर है, पीएससी चेयरमैन के खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। राज्यपाल सस्पेंड कर सकते हैं, बर्खास्त करने के लिए भी लोकसभा से पारित कराना होगा। चेयरमैन सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लिहाजा उन्हें सस्पेंड भी नहीं किया जा सकता। पुलिस में अगर कोई FIR दर्ज कराए तभी इसकी जांच हो सकती है। खबर है कि जांच के पश्चात सरकार पुलिस में फिर रिपोर्ट दर्ज कराएगी। वहीं CGPSC मामले में हाईकोर्ट तक याचिका पहुंची है। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने पीएससी भर्ती को लेकर CBI जांच की मांग उठाई है। अयोग्य लोगों का चयन और प्रश्न के उत्तर गलत होने के बाद भी नंबर दिए जाने का आरोप लगाया है।
जांच होने तक कोर्ट ने नियुक्तियों पर लगाई है रोक
बता दें कि पीएससी परीक्षा 2021 घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 18 की नियुक्ति पर रोक लगाया है। अभी तक पीएससी-2021 और 2022 के डिप्टी कलेक्टरों और डीएसपी समेत कई संवर्गों के अफसरों ने ज्वाइन नहीं किया है। बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने फैसला होते तक ज्वाइनिंग रोकने का आदेश दिया है। अब प्रदेश में सरकार बदल गई है। महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने सरकार बदलते ही इस्तीफा दे दिया है। महाधिवक्ता कार्यालय भी इस मामले का बचाव करने की बजाए कार्रवाई पर जोर देगा। पीएससी घोटाले में कड़ी कार्रवाई करना नई सरकार की मजबूरी भी होगी, क्योंकि इसी मसले प्रदेश का युवा कांग्रे सरकार से नाराज हुआ। ऐसा माना भी जा रहा है कि युवाओं का एकतरफा वोट भाजपा को मिले हैं। भाजपा के युवा विंग ने रायपुर में प्रदर्शन किया था। अब कार्रवाई में देरी होगी तो युवाओं का असंतोष बढ़ता जाएगा। वहीं भाजपा के यूथ विंग के दावो और प्रदर्शन पर भी सवाल उठ जाएगा।
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