रायपुर। छत्तीसगढ़ में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ी जा रही है। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है। वहीं आम जनता की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही है। आगामी चुनाव को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। गौरव पथ भाटापारा को जिला बनाओ के नारों से पट गया है। गौरव पथ पर लगे स्टीकर को भाटापारा स्वतंत्र जिला निर्माण के 40 वर्षों के संघर्षों की कहानियों की यादें फिर ताजा हो गई है।
जिले के मुद्दे पर समझौता नहीं
पृथक जिला निर्माण को लेकर सामाजिक संगठनों की जिस तरीके से प्रतिक्रिया आ रही है, उससे यह लग रहा है कि यहां की आम जनता अब जिले के मुद्दे पर कोई समझौता करने वाली नहीं है। जनता इस बार किसी भी प्रकार के आश्वासन में नहीं आने वाली है। आम जनता चाहती है कि चुनाव के पहले ही भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिल जाए। भाटापारा अभी बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के नाम से जाना जाता है।
नोटा की ओर बढ़ रहा रुझान
बता दें कि 40 सालों से आश्वासन का झुनझुना आम जनता को मिल रहा है। जिला बनाने के लिए लंबे समय से आम जनता संघर्ष कर रही है। संघर्षों के बाद बलौदाबाजार-भाटापारा जिला बनाया गया। अब स्थानीय भाटापारा को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। जिला निर्माण की दिशा में कोई सार्थक पहल अब तक नजर नहीं आ रहा है। एक वर्ग ऐसा भी है जो दोनों दलों से नाराज हैं। जिला नहीं बनने की स्थिति में नोटा को अपना विकल्प मान कर चल रही है।
खुलकर बोलने से बच रहे नेता
स्वतंत्र जिला के लिए तीसरी पीढ़ी अभी संघर्ष कर रही है। संघर्ष के कई साथी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन जो बच गए हैं उनकी आंखें जिले की राह देखते देखते पथरा गई है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि चुनाव से पहले अगर कांग्रेस की सरकार इस ओर ध्यान देती है तो उन्हें लाभ मिलेगा। वहीं भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता अभी खुलकर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन स्वतंत्र जिला वह भी चाहते हैं। स्थानीय नेता भी प्रदेश स्तर के नेताओं का मुंह ताक रहे हैं।