रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के चर्चित PSC घोटाले में बड़ा एक्शन हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने टामन सोनवानी, जीवन किशोर ध्रुव सहित कई कांग्रेसी नेताओं पर FIR दर्ज की है। भाजपा विधायक ननकी राम कंवर ने पीएससी परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत ईओडब्ल्यू से की थी, जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तात्कालिक चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी और सचिव जीवन किशोर ध्रुव के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है। ईओडब्ल्यू ने धारा 420, 120बी, धारा-7, 7 (क) और धारा-12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पंजीबद्ध किया है।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी सीजीपीएससी के कथित घोटाले को लेकर मुखर रही है। पूर्व की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए। भाजपा नेता इस मामले को लेकर हाईकोर्ट तक लेकर चले गए। छत्तीसगढ़ में सरकार में आने से पहले भाजपा ने वादा किया था कि हमारी सरकार आई तो सीजीपीएससी मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों को जेल भेजा जाएगा। भाजपा ने इस मामले को आरोप पत्र में भी शामिल किया था। वादे के मुताबिक, भाजपा सरकार ने कैबिनेट बैठक में मामले की CBI जांच कराने का फैसला भी ले चुकी है। अब दोषियों पर FIR भी दर्ज हो चुकी है। इस मामले की शिकायत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पास ननकीराम कंवर ने थी।
हाईकोर्ट ने 18 लोगों की नियुक्ति रोकी थी
यहां बताना लाजिमी है कि 11 मई 2023 को सीजीपीएससी 2021 का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ था। इसमें 171 पदों पर CGPSC ने भर्ती की थी, जिसमें 15 लोगों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों को जगह मिली है। इन आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग आरोपों के घेरे में थी। पूर्व गृहमंत्री और भाजपा नेता ननकीराम कंवर ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने 18 लोगों की नियुक्ति को रोकने के आदेश दिए थे।
CGPSC के खिलाफ 2 साल में 48 शिकायत
सीएम साय ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि कांग्रेस शासनकाल में CGPSC के खिलाफ करीब दो वर्षों में 48 शिकायतें हुई हैं। ये शिकायतें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य गृहमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंची है। अधिकांश शिकायतें राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की गई है। इनमें रिश्तेदारों को नौकरी देने से लेकर परीक्षा में अनियमितता व भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा, परिणाम में गड़बडी, पक्षपातपूर्ण कार्य के आरोप लगाए गए हैं।