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Wednesday, December 4, 2024

‘मठ-मंदिर आमदनी का जरिया बन गया’, तिरुपति बालाजी प्रसाद विवाद पर बोले शंकराचार्य निश्चलानंद- मंदिरों का नहीं होना चाहिए सरकारीकरण…

बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डुओं के प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद के बीच श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मठ-मंदिर को आमदनी का जरिया बनाएंगे तो ऐसा ही होगा। मठ मंदिरों का दोहन नहीं होना चाहिए। मठ मंदिरों का सरकारीकरण हो गया है, जबकि मंदिरों का रखरखाव शंकराचार्य मार्गदर्शन में होना चाहिए, तभी ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होगी। मठ-मंदिरों का सरकारीकरण नहीं होना चाहिए।

बिरकोना रोड अशोक वाटिका में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने दर्शन दीक्षा एवं संगोष्ठी कार्यक्रम में भक्तों के सवालों के जवाब दिए। गौ हत्या के सवाल पर जवाब देते हुए निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह कहते थे गौ हत्या बंद करो, गांव की रक्षा करो, गौ माता की रक्षा करो और इसी मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री भी बने थे और आज जब वह प्रधानमंत्री हैं तो अब गौ रक्षक गुंडे हो गए।

संस्कृत का अध्यापन शुरू करने करेंगे मंत्रणा
एक भक्त के सवाल पर स्वामी निश्चलानंद महाराज ने कहां है कि छत्तीसगढ़ राज्य के युवा और बच्चे संस्कृत की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्य में उन्हें न जाना पड़े, इसलिए विष्णुदेव सरकार से वे यहां संस्कृत विद्यालय और संस्कृत भाषा के अध्यापन के लिए चर्चा करेंगे। छत्तीसगढ़ में संस्कृत के पाठ्यक्रम शुरू होना चाहिए तथा यहां की संस्कृति का विलुप्त ना हो इसके लिए सरकार से चर्चा भी करेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि हमें कुसंगति से बचना चाहिए, अराजकता से दूर रहना चाहिए। आज दर्शन दीक्षा के दौरान उन्होंने हिंदू राष्ट्र बनाने तथा गौ रक्षा और युवाओं को आगे आने की बात कही है।

40 मिनट तक हनुमान चालीसा का पाठ करें
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा है कि जीव आत्मा का दूसरा नाम परमात्मा है। 40 मिनट तक हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। राम नाम को लेकर उन्होंने कहा कि अग्नि, सूर्य और चंद्रमा के बीच राम तत्व हैं। इस पर विचार करें, राम नाम का आध्यात्म करें, पूरा ज्ञान प्राप्त होता है। एक सवाल के जवाब में कहा कि हमें जीवन में सात्विक आहार लेना चाहिए और अच्छी आदत होने से मन परिपक्व होता है। जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए वेदों को वेदों का जीवन में अपेक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को शिक्षा के साथ अध्यात्म एवं धर्म से जुड़ना चाहिए।

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