विजय कुमार पाण्डेय. कांकेर
40 सालों से नक्सली जीवन जीने वाले और लंबे समय तक उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी क्षेत्र में कार्य करने वाले हार्डकोर नक्सली प्रभाकर 12 दिनों से पुलिस के पास रहा, जिसे 4 जनवरी को न्यायालय में पेश किया गया और कांकेर जेल भेज दिया गया। छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा तेलांगाना, आंध्र प्रदेश, एनआईए व अन्य कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने इंट्रोगेशन किया। हार्डकोर होने के कारण उससे कई विषयों को उगलवाने में पुलिस के पसीने भी छूटे, वहीं हरिभूमि कांकेर टीम ने न्यायालय परिसर में बातचीत किया तो अधिकतम प्रश्नों के जवाब देने से कतराता रहा और कहा कि मैं जिस दिन पकड़ा गया था, उस दिन तक मैं आरसीएम था यानी रीजनल कमेटी मेंबर के पद पर काम कर रहा था।
कांकेर पुलिस के 23 दिसंबर को गिरफ्त में आया प्रभाकर का पूरा नाम बालमूरी नारायण राव उर्फ नारायण उर्फ वेकन्ना के नाम से जाना जाता है और यह तेलांगना राज्य के जिला जगित्याल के गांव बीरपुर का निवासी है। वर्ष 1984 से नक्सल संगठन में पार्टी सदस्य के रूप में भर्ती हुआ। वर्ष 1984 वे 1994 तक अविभाजित राज्य आन्ध्रप्रदेश में, वर्ष 1995 से1997 तक बालाघाट क्षेत्र (मध्यप्रदेश) में, वर्ष 1998 से 2005 तक उत्तर बस्तर, कोयलीबेड़ा क्षेत्र में सक्रिय, वर्ष 2005 से 2007 डीकेएसजेडसी सप्लाई टीम एवं अर्बन नेटवक का कार्य, वर्ष 2007 से 2008 मानपुर-मोहला क्षेत्र में, वर्ष 2008 से आज तक डीकेएसजेडसी सप्लाई एवं मोबाईल पॉलेटिकल स्कूल का प्रभारी था, परंतु उसने हरिभूमि को बताया कि मैं आरसीएम हूँ। लाँजिस्टिक सप्लाई एवं लाँजिस्टिक इंचार्ज होने के कारण ओड़िसा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ के शीर्ष माओवादी लीडरों का करीबी सहयोगी है।
अबूझमाड़ से भागने का हुआ फरमान
पुलिस के बढ़ते हुए दबाव और लगातार हो रहे मुठभेड़ को देखकर सीसी मेंबर और एसजेडसी ने फरमान सुनाया है कि मार्च 2026 तक जिसे जहाँ सेफ जोन मिलता है, उधर निकल जाएं। अबूझमाड़ में रहने वाले अधिकतम सीसी मेंबर भी नए ठिकाने की तलाश में जुट गए है। नक्सलियों के बड़े कैडर सेफ जोन के ठिकाने की तलाश कर रहे है। प्रभाकर की मानें तो नक्सलियों के लिए वर्तमान में सेफ जोन उड़ीसा व झारखंड राज्य है और इन राज्यों में किराए का मकान लेकर मार्च 2026 तक छिपे रखेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
अबूझमाड़ से दिल्ली में सरकार नहीं बना सकते
हार्डकोर नक्सली प्रभाकर ने अबूझमाड़ में एक बैठक में सीसी मेंबर से कहा था कि अबूझमाड़ में छिपकर हम दिल्ली में सरकार नहीं बना सकते। इसके लिए हमें बाहर निकलना होगा। शहरी नेटवर्क बढ़ाना होगा और शहरी लोगों को साथ में लेकर काम करना होगा। अबूझमाड़ में छिपकर बैठने से कुछ होने वाला नहीं है। प्रभाकर के इस व्यवहार से सीसी मेंबर नाराज भी हुए थे।
प्रभाकर सीसी मेंबर गणपति का है चचेरा भाई
प्रभाकर सीसी मेंबर गणपति का चचेरा है और अभी वो जिंदा है। पुराना हार्डकोर नक्सली होने के नाते सीसी मेंबर बन जाना चाहिए था, परंतु संगठन ने एक संगीन मामले में दोषी मानते हुए सीसी कमेटी ने प्रभाकर का डिमोशन कर दिया था, उसके बाद इसे कभी भी एक्टिव टीम में नहीं रखा गया। लाँजिस्टिक सप्लाई एवं लाँजिस्टिक इंचार्ज बनाकर रखा। सीसी मेंबरों के इस व्यवहार के चलते हार्डकोर नक्सली गणपति की पत्नी और सीसी मेंबर कोसा से बहुत चिढ़ता था। उसका मानना है कि इन दोनो के कारण ही मेरा प्रमोशन नही हुआ।
बिहार से छत्तीसगढ़ लाता था हथियार
सप्लाई टीम का प्रभारी रहने के नाते पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आंध प्रदेश, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों का लगातार भ्रमण करता था। छत्तीसगढ़ में हथियार की सप्लाई बिहार से होती थी, यहाँ तक कई बार बिहार से थ्री नाट थ्री भी लेकर सप्लाई किया है। बिहार से ही ज्यादा हथियार छत्तीसगढ़ आते थे। छत्तीसगढ़ में जितने भी माओवादियों के पास हथियार है, अधिकतम बिहार से लाए गए हथियार है।
कांकेर जिले में दर्ज है 76 मामले
कांकेर जिले में सबसे ज्यादा समय तक सक्रिय रहा और इसके अपराध के आंकड़ो को खंगालने पर पुलिस को पता चला कि कांकेर जिला में ही इसके खिलाफ 50 मामले दर्ज है और 76 वारंट है। एनआईए के पास भी कई मामले इसके खिलाफ दर्ज है, इसके अलावा अन्य राज्यों में भी मामले दर्ज है । पुलिस ने इन 50 मामलों को लेकर हार्डकोर प्रभाकर से बातचीत किया है, ज्यादा कुछ कबूल नहीं किया।
रायपुर के मॉल घूमने का है शौकीन
शहरी नेटवर्क का प्रभारी होने के नोत हार्डकोर नक्सली प्रभाकर रायपुर के मेग्नेटो व सिटी माँल कई बार गया है और वहाँ से खरीदी करके ले जाता था। रायपुर अधिकतम बार मोटर सायकल से ही गया है। इसके अलावा गणपति की पत्नी का ईलाज करवाने के लिए कई बाद दुर्ग भी गया है। रायपुर व दुर्ग में कई लोगों से हार्डकोर प्रभाकर का सीध संपर्क है।
शहरी नेटवर्क के कई नामों का किया खुलासा
पुलिस ने 16 दिनों में कई अहम जानकारी एकत्र किया है और शहरी नेटवर्क के दौरान इसे मदद करने वालों के नाम भी पुलिस के हाथ लगे है। इसे जेल भेजने के बाद कांकेर पुलिस मदद करने वालों के गिरेबान में हाथ डाल सकती है और कई सबूत पुलिस के हाथ लग सकते है। कई ठेकेदारों का करीबी संपर्क है। प्रभाकर के पकड़े जाने से इनका शहरी नेटवर्क भी ध्वस्त हो सकता है।