रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) के अफसरों के साथ मिलकर अरबों रुपये के रीएजेंट और दवा उपकरण के घोटाले को अंजाम देने वाले मोक्षित कार्पोरेशन को आखिरकार ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। दवा निगम ने आदेश में स्वीकार किया है कि कंपनी द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों को भेजे गए 789 उपकरण बिगड़े पड़े हैं और 215 का तो इंस्टाल ही नहीं किया गया है। मोक्षित कार्पोरेशन ने खराब उपकरणों की पोर्टल में शिकायत के बाद भी सुधार नहीं किया। सप्लाई वाले रीएजेंट में अवयवों की कमी के साथ ब्लड सेल काउंटर-3 को कोडिंग लॉक करने का आरोप है।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई साहू ने मोक्षित कार्पोरेशन को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश जारी किया है। 750 करोड़ों के घोटाले के आरोप से घिरी इस सप्लायर एजेंसी पर विभिन्न तरह की गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है। दवा निगम का दावा है कि 14 महीने में 20 नोटिस भी जारी किया गया था, जिसका जवाब भी कंपनी ने नहीं दिया या दिया तो संतोषप्रद नहीं था। खरीदे गए उपकरणों का भुगतान कंपनी को किया जा चुका है और मशीनों के रखरखाव के बारे में किए गए अनुबंध का पालन भी नहीं किया गया है।
600 फ्रीज खरीदने की योजना थी
दवा कार्पोरेशन द्वारा भेजे गए नोटिस में मोक्षित कार्पोरेशन ने अपने जवाब में रीएजेंट के खराब होने की वजह स्वास्थ्य केंद्रों में रेफ्रिजरेटर की अनुपलब्धता को बताया था जिसे सही नहीं माना गया। रीएजेंट की सप्लाई करने के दौरान इस बात का अध्ययन विशेषज्ञों की कमेटी ने नहीं किया था। हेल्थ सेंटरों में 4 डिग्री के तापमान में रखने के लिए रेफ्रिजरेटर नहीं है। रीएजेंट खराब होने की जब शिकायत मिलने लगी तो विभागीय स्तर पर 600 फ्रिज खरीदने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया था। इस बात का जिक्र ईओडब्लू द्वारा राखी थाने में कराए गए एफआईआर में भी है।
आईएएस समेत अफसरों पर शिकंजा
मोक्षित कॉर्पोरेशन के एमडी की रिमांड में कई अहम खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि ईओडब्ल्यू जल्द ही कुछ अफसरों को भी गिरफ्तार कर सकती है। दवा निगम से जुड़े अफसर और आईएएस पर भी शिकंजा कसा जा सकता है। अफसरों ने जानते बूझते हुए भी मोक्षित कॉर्पोरेशन को अरबों रुपये का लाभ पहुंचाया और नियमों की अनदेखी की। यह पूरा खेल सांठगांठ कर आर्थिक लाभ लेने और पहुंचाने को लेकर खेला गया। ईओडब्ल्यू की एफआईआर में 750 करोड़ रुपये का राज्य शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की बात भी कही गई है। अभी इसकी जांच भी चल रही है।
मोक्षित कंपनी ने मशीनों को लॉक किया
मोक्षित कॉर्पोरेशन पर गंभीर आरोप यह के उनके द्वारा विभिन्न जिलों में ब्लड सेल काउंटर को कोडिंग सिस्टम से लॉक किया गया है, जिसकी वजह से रक्त संबंधी विभिन्न जांच स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं हो पा रही है। करोड़ों रुपये की सप्लाई किए गए रीएजेंट में आवश्यक मात्रा में अवयवों की कमी थी। इसकी वजह से इसका पर्याप्त उपयोग नहीं हो पाया। दवा कॉर्पोरेशन द्वारा कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की वजह में इसका भी उल्लेख किया है कि विभिन्न उपकरणों में केलीब्रेशन और कंट्रोल सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जिसकी वजह से इनका उपयोग जांच के लिए नहीं हो पा रहा है।
दस फरवरी तक रिमांड में रहेंगे एमडी
मोक्षित कार्पोरेशन के एमडी शशांक चोपड़ा 10 फरवरी तक ईओडब्लू की रिमांड पर रहेंगे। 7 दिनों की रिमांड समाप्त होने के बाद उसे विशेष न्यायाधीश निधी शर्मा तिवारी की कोर्ट में पेश किया गया था। घोटाले से जुड़े अफसरों को ईओडब्लू बुलाकर पूछताछ भी कर रही है। बुधवार को दवा कार्पोरेशन से जुड़े कुछ और अधिकारियों को ईओडब्लू दफ्तर बुलाए जाने की चर्चा है। इस मामले में आने वाले दिनों में कुछ और गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। जांच के दौरान यह बाते भी सामने आई है कि घोटाले के पहले दवा कार्पोरेशन में जीएम टेक्नीकल और जीएम एक्यूपमेंट के पद को अलग-अलग किया गया था। इसके पूर्व दोनों की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी के पास होती थी।