RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ में अब जल्द ही खेती की जमीन पर तीन मंजिला मकान बने नजर आएंगे। किसान अब बिल्डर के साथ जेवी (संयुक्त उपक्रम) बनाकर ये काम कर सकेंगे। खास बात यह कि निर्माण राज्य शासन की किफायती आवास योजना के तहत किए जाएंगे। सरकार ने इस संबंध में नियम जारी कर तीस दिनों के अंदर दावा आपत्ति और सुझाव मंगाए हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद कृषि भूमि पर मकान बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
राज्य सरकार ने इस काम के लिए छत्तीसगढ़ किफायती आवास योजना 2025 बनाई है। इसके तहत कम कीमत वाले आवास बनाए जाएंगे। ऐसी आवासीय इकाइयों में जिसमें भूखंड का क्षेत्रफल अधिकतम 150 वर्ग मीटर और प्रति प्रकोष्ठ इकाई का क्षेत्रफल अधिकतम 90 वर्ग मीटर होगा। यह योजना ऐसे भूखंड पर क्रियान्वित की जा सकती है, जो परिवार के सदस्यों ने आपस में न बांटा हो। लेकिन इसमें सामूहिक आवास और संयुक्त आवास शामिल होंगे।
बिल्डर-कालोनाइजर की ये होगी भूमिका
इस योजना में बिल्डर या कॉलोनाइजर की भूमिका के संबंध में सरकार ने साफ किया है कि योजना में कॉलोनाइजर से मतलब ये होगा कि नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के अधीन गठित विकास प्राधिकरण, रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी या रजिस्ट्रार सहकारी सोसायटी से रजिस्ट्रीकृत कोई सोसायटी या कोई अन्य रजिस्ट्रीकृत संस्था, जिसमें शामिल कोई व्यक्ति या संस्था जो कृषि भूमि सहित अन्य किसी भी भूमि को भूखंड़ों या समूह आवास (ग्रुप हाउसिंग) में विभाजित करने के प्रयोजन के लिए उस क्षेत्र का विकास करते हुए कॉलोनी की स्थापना करने का काम हाथ में लेने का इरादा रखता हो।
इस नियम से बनेंगे किफायती आवास
आवासीय भूखंडीय सह प्रकोष्ठ के लिए जमीन का विकास करने के लिए क्षेत्रफल 2 से 10 एकड़ तथा न्यूनतम क्षेत्रफल 3.25 एकड़ न्यूनतम 1.25 जमीन एकड़ प्रकोष्ठ विकास के लिए होना चाहिए। पहुंच मार्ग न्यूनतम 9 मीटर, आंतरिक मार्ग की चौड़ाई 6 मीटर होगी। पहुंच मार्ग से जोड़े जाने वाली आंतरिक मार्ग की चौड़ाई न्यूनतम 9 मीटर होगी और यह 9 मीटर चौड़ी सड़क सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराना आवश्यक होगा। खुला स्थान योजना का न्यूनतम पांच प्रतिशत होना चाहिए। 18 मीटर चौड़ा रास्ता होना चाहिए। अगर योजना कृषि की जमीन पर प्रस्तावित की जाती है तो योजना के लिए प्रस्तावित स्थल के 1
किलोमीटर की परिधी के अंतर्गत संबंधित क्षेत्र की विकास योजना के अनुसार प्रस्तावित या वर्तमान में 18 मीटर चौड़ा मार्ग होना चाहिए। भूखंड का अधिकतम आकार 150 वर्ग मीटर होगा। कृषि क्षेत्र में अधिकतम 1.5 अन्य क्षेत्र में प्रभावशील विकास योजना के अनुसार मान्य होगा। भवन की अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर (स्टील्टस मम्टी पैरापेट वाल को छोड़कर) तथा अधिकतम तलों की संख्या ग्राउंड प्लस 2 होगा। आवासीय प्रकोष्ठ के भवनों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
प्रदेश सरकार दूर करेगी कठिनाई
इन नियमों के प्रावधानों के क्रियान्वयन में यदि कोई कठिनाई आती है तो राज्य शासन का ऐसा आदेश जो अधिनियम के प्रावधानों से असंगत न हो, जारी कर कठिरनाई को दूर कर सकेगा। प्रस्तावित योजना के लिए निर्धारित शुल्क देने होंगे। केवल इन नियमों के अंर्तगत प्रस्तावित योजना के लिए स्वतः कृषि भूमि से आवासीय भू- उपयोग लिए उपांतरण माना जाएगा यानी शुल्क जमा करते ही डायवर्सन हो जाएगा। इसके लिए समय-सीमा भी तय की जाएगी।