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आम आदमी और रियल एस्टेट सेक्टर की लंबी मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने गाइडलाइन दरों के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की हाई-लेवल बैठक के बाद कई पुराने प्रावधान वापस ले लिए गए हैं। ये सारे बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं।
क्या-क्या बदला?
- छोटे प्लॉट की इंक्रीमेंटल गणना खत्म अब 1400 वर्ग मीटर (लगभग 15,000 वर्ग फुट) तक के प्लॉट पर इंक्रीमेंटल फॉर्मूला नहीं लगेगा। पुराना आसान नियम वापस लाया गया:
- नगर निगम क्षेत्र में पहले 50 डिसिमल तक
- नगर पालिका में 37.5 डिसिमल तक
- नगर पंचायत में 25 डिसिमल तक → स्लैब रेट से ही रजिस्ट्री होगी। इससे छोटे-मध्यम प्लॉट की रजिस्ट्री काफी सस्ती हो जाएगी।
- फ्लैट-दुकान की रजिस्ट्री अब सुपर बिल्ट-अप नहीं, बिल्ट-अप एरिया पर बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट, दुकान, ऑफिस की रजिस्ट्री अब सुपर बिल्ट-अप एरिया के बजाय केवल बिल्ट-अप (कारपेट) एरिया के हिसाब से होगी। पुराना मध्य प्रदेश वाला नियम फिर से लागू। इससे फ्लैट की रजिस्ट्री 15-25% तक सस्ती पड़ सकती है।
- कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और ऊपरी मंजिलों पर भारी छूट
- बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर → 10% छूट
- दूसरी मंजिल और उससे ऊपर → 20% छूट
- मुख्य सड़क से 20 मीटर से ज्यादा दूर वाली दुकान/ऑफिस → अतिरिक्त 25% छूट → मध्यम वर्ग को सस्ते में दुकान-फ्लैट मिलने का रास्ता साफ।
- गाइडलाइन दरों में और संशोधन होंगे सरकार ने सभी जिला मूल्यांकन समितियों को 31 दिसंबर 2025 तक नई शिकायतें-सुझाव देखकर संशोधित प्रस्ताव भेजने को कहा है। इसके बाद गाइडलाइन में और राहत मिल सकती है।
सरकार का कहना है कि इन बदलावों से रजिस्ट्री प्रक्रिया पारदर्शी और आसान होगी, काला धन कम होगा और आम आदमी को सस्ते में अपना घर-दुकान रजिस्टर कराने में मदद मिलेगी। रियल एस्टेट कारोबारी और क्रेता दोनों ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया है। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में प्रॉपर्टी मार्केट में नई रौनक आने के आसार हैं।
