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Tuesday, June 24, 2025

छत्तीसगढ़ के एलुमिना प्लांट में हॉपर गिरा, 4 मजदूरों की मौत, 3 घायल, ओवरलोड कोयले के चलते हादसा, विधायक बोले- कंपनी पर होगी कार्रवाई…

अंबिकापुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एलुमिना प्लांट में हॉपर गिरने से 4 मजदूरों की मौत हो गई। मां कुदरगढ़ी प्लांट में कोयले से लोड हॉपर और करीब 150 फीट बेल्ट गिरने से यह हादसा हुआ। हॉपर गिरने से 7 मजदूर दब गए थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 4 मजदूरों की डेड बॉडी मिली है। वहीं 3 लोगों को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल अंबिकापुर में भर्ती किया गया है। इसमें से एक की हालत गंभीर है। वहीं हादसे के दौरान 2 लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई। पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है। मजदूरों के बयान भी लिए जा रहे हैं। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया है।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक सिलसिला में संचालित मां कुदरगढ़ी एलुमिना प्लांट में सुबह करीब 11 बजे काम चल रहा था। इसी दौरान यह हादसा हुआ। हॉपर में कोयला ओवरलोड था। आशंका है इसी के चलते हादसा हुआ होगा। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया गया है। प्लांट में हादसे की सूचना के बाद लुंड्रा विधायक प्रबोध मिंज भी घटना स्थल पर पहुंचे। विधायक ने कहा कि कंपनी का कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौके पर नहीं है। जांच के बाद ही घटना की सही वजह का पता चल पाएगा, लेकिन प्रथम दृष्टया इसमें लापरवाही दिख रही है। कारखाने में सुरक्षा के साधन नहीं हैं। विधायक ने मारे गए मजदूरों के परिजनों को मुआवजा देने एवं उनके शवों को घरों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है।

मृतकों के नाम

  • प्रिंस ठाकुर- मंडला, मध्य प्रदेश
  • मनोज सिंह- सागर, मध्य प्रदेश
  • करणवीर मांझी- गया, बिहार
  • रमेश्वर- गया, बिहार

प्लांट में सेफ्टी मैनेजर जैसा कोई पद नहीं
मां कुदरगढ़ी एलुमिना प्लांट में मैनपाट से लाए गए बॉक्साइट से एलुमिना बनाया जाता है। एल्युमिनियम प्लांट में लगभग 300 मजदूर काम करते हैं। बड़े-बड़े बॉयलर और मशीन लगी हुई है। इतने बड़े प्लांट में सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ साफ दिख रहा है। सेफ्टी मैनेजर के बारे में जब जानकारी मांगी गई, तब पता चला यहां ऐसा कोई पद ही नहीं है। घायलों को बोलेरो में भेजा गया। डेढ़ बजे जब पुलिस और प्रशासन की टीम प्लांट पहुंची तब एंबुलेंस भी बुलाई गई।

साथी मजदूरों ने ही संभाला रेस्क्यू ऑपरेशन
हादसे के बाद कोई ऐसी टीम नहीं थी जिसे रेस्क्यू ऑपरेशन का अनुभव हो। झारखंड से आए मजदूर ही अपने साथियों को बचाने में जी-जान लगाकर कूद पड़े। उनका सहयोग साथी इंजीनियर भी कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी इस बारे में कोई अनुभव नहीं था। जिला प्रशासन को देर से सूचना मिलने के कारण एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को नहीं बुलाया जा सका। ब्रायलर मैनेजर विष्णु मिश्रा ने बताया कि साढ़े दस बजे के बाद जब ब्रायलर चालू करने के लिए मैसेज किया गया तब उसी समय कोयला लोड हॉपर तेज आवाज के साथ गिर गया। मैं अपने पांच साथियों के साथ ऊपर था, मैं भी गिर गया। मुझे भी चोट आई हैं। नीचे बालू हटाने वाले कितने मजदूर थे, इसकी सही जानकारी मेरे पास नहीं है।

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