रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों विशेषकर चबाने वाले तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया (VHAI) की ओर से स्कूली बच्चों के लिए ‘संवेदीकरण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। तंबाकू के हानिकारक प्रभावों और सेकेंड हैंड स्मोक एक्सपोजर से स्कूली छात्रों को बचाने के उद्देश्य से माता सुंदरी पब्लिक स्कूल और खालसा स्कूल रायपुर में कार्याशाला का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में बताते हुए बच्चों को स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाने के लिए जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित लगभग 200 बच्चों ने तंबाकू मुक्त स्कूल और छत्तीसगढ़ बनाने का संकल्प लिया। साथ ही तंबाकू नियंत्रण कानून को सख्त बनाने और लोगों से तंबाकू का सेवन नहीं करने की अपील की। तम्बाकू के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए यह बताया गया कि तंबाकू किस प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह आसानी से उपलब्ध है, जिसके कारण आजकल स्कूली बच्चे भी तंबाकू का सेवन करते देखे जाते हैं। बच्चे ही हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं इसलिए उन्हें तंबाकू सेवन से बचाकर उनके भविष्य की रक्षा करना जरूरी है। छत्तीसगढ़ को तंबाकू मुक्त राज्य बनाने में स्कूली बच्चे किस तरह मददगार हो सकते हैं, उन्हें विस्तार से बताया गया।
तम्बाकू से खतरा और युवाओं पर इसका असर पर वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अवधेश मल्लिक ने कहा कि “भारत में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (COTPA 2003) तंबाकू नियंत्रण अधिनियम है। इस अधिनियम को तम्बाकू नियंत्रण के लिए और अधिक प्रभावी बनाने कुछ संशोधनों की जरूरत है। विशेषकर स्कूली छात्रों पर तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभाव का खतरा ज्यादा है। 3 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं और लंबे समय तक, बार-बार धुएं के संपर्क में रहने से उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना होती है। “इस दौरान उन्होंने तंबाकू के सेवन से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की भी जानकारी दी। साथ ही वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( वीएचएआई) द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया।
वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन की राज्य कार्यक्रम अधिकारी सुष्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि “छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। युवाओं और छोटे बच्चों के बीच तम्बाकू सेवन का व्यापक प्रसार है। राज्य में तम्बाकू उपयोग के शुरुआत की औसत आयु 7.3 वर्ष है, इसलिए बच्चों और युवाओं को तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाने राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ट की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषकर स्कूल-कॉलेजों के छात्रों को तंबाकू उत्पादों के पहुंच से दूर रखने और कोटपा अधिनियम 2003 का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है।“
स्कूल की शिक्षिका सानिया फरीदी ने तंबाकू निषेध के लिए स्कूल द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। साथ ही बच्चों से तंबाकू और तंबाकू युक्त पदार्थों के सेवन से दूर रहने की अपील की। कार्यक्रम में खालसा शिक्षण समिति के अध्यक्ष राजवंत सिंह ग्रेवाल, मनिंदर सिंह रख राय एवं कोषाध्यक्ष कार्यकारिणी सदस्य जगपाल सिंह धारीवाल मुख्य रूप से मौजूद रहे। इस दौरान काफी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक मौजूद रहे।