नई दिल्ली. एजेंसी। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने अपने 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनके मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस इस साल अप्रैल में उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा निलंबित कर दिए गए थे। कंपनी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी। जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ के समक्ष प्रस्तुत हलफनामे में कंपनी ने कहा कि मीडिया प्लेटफार्मों को भी इन 14 उत्पादों के किसी भी रूप में विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है।
मंगलवार (9 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया गया कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने बाजार में अपने 14 प्रोडक्ट्स की बिक्री रोक दी है। उत्तराखंड सरकार ने 29 अप्रैल को इन प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड किए थे। हलफनामे में कहा गया है कि 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर को इन उत्पादों को वापस लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। मीडिया प्लेटफार्म्स से भी प्रोडक्ट्स के विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि इससे पहले 14 मई 2024 को शीर्ष अदालत ने भ्रामक विज्ञापन मामले में स्वामी रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
इन प्रोडक्ट्स पर लगाया गया बैन
पतंजलि के दिव्य फार्मेंसी के 14 प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया गया है। इसमें पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप के अलावा श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, दिव्य ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पॉवर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पॉवर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड शामिल है।
अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी
बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को दो सप्ताह के भीतर एक एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया है। इसमें कपंनी को बताना है कि क्या सोशल मीडिया को-आर्डिनेटर्स ने इन प्रोडक्ट्स के विज्ञापन हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और क्या उन्होंने विज्ञापन वापस ले लिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी।