22.1 C
Raipur
Thursday, November 21, 2024

बांग्लादेशी शरणार्थी जमीन की बिक्रीः IAS झा के खिलाफ होगी जांच, PMO में शिकायत के बाद सरगुजा के पूर्व कलेक्टर पर एक्शन

अंबिकापुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में भूमाफियाओं की पहुंच कहां तक है। इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है, लेकिन इतना तय है कि इनकी जद में पटवारी, रेवेन्यू इंपेक्टर (RI) से लेकर कलेक्टर तक आते हैं। ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं कि हाल के दिनों में सरगुजा के एक नजूल अधिकारी जो अपर कलेक्टर रैंक हैं से लेकर राजस्व निरीक्षक तक सरकारी जमीन को बेचने के मामले में आरोपी बनाए गए हैं। वहीं अब पुनर्वास की भूमि को बिक्री करने की अनुमति देने के मामले में सरगुजा के पूर्व कलेक्टर संजीव झा के विरुद्ध PMO से जांच का आदेश होना कहीं ना कहीं राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है। राजस्व मामले में हजारों पेंडिंग केस है, बावजूद काम नहीं होता। लेकिन यह भी सत्य है कि यहां कोई भी काम बिना चढ़ावा के नहीं होता।

अधिवक्ता डीके सोनी ने तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा पर नियम विरुद्ध भूमाफियाओं को बंगाली जमीन की खरीदी बिक्री की अनुमति दिए जाने की शिकायत की है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और पुलिस महानिदेशक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) रायपुर से 21 मार्च को शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने मोटी रकम लेनदेन का आरोप लगाते हुए सभी प्रकरण की जांच करने और दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। शिकायत के बाद 1 मई 2024 को कार्मिक लोक शिकायत के अवर सचिव रूपेश कुमार ने छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजते हुए जांच का निर्देश दिया है, जबकि इस मामले में EOW के समक्ष प्रस्तुत शिकायत की जांच लंबित है।

21-22 बंगाली जमीन का परमिशन
अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर ने अपने कार्यकाल के दौरान 21 से 22 बंगाली जमीन की अनुमति गलत तरीके से दिया गया। आमतौर पर बंगाली जमीन के खरीदी-बिक्री की अनुमति एक वर्ष से छह माह के सुनवाई के बाद दी जाती है, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर संजीव कुमार झा ने भूमाफियाओं से मिलकर महज 45 और न्यूनतम 15 दिन के भीतर अनुमति दे दी। इतना ही नहीं कलेक्टर ने सरगुजा से स्थानांतरण के बाद भी बंगाली जमीन के बिक्री की अनुमति जारी की है। कुल 21-22 बंगाली जमीन का परमिशन गलत तरीके से दिया गया है। डीके सोनी ने बताया कि पूरे दस्तावेज मेरे पास मौजूद है। कार्रवाई नहीं होने पर वे हाईकोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।

ट्रांसफर के बाद बैकडेट पर दी अनुमति
अधिवक्ता डीके सोनी ने बताया कि यह पूरा फायदा भू-माफियाओं ने खेला है। कई अनुमति तो ट्रांसफर के बाद बैकडेट पर किए गए हैं। कलेक्टर संजीव कुमार झा ने सरगुजा से कोरबा स्थानांतरण हो जाने के बाद रूमा राय उर्फ रोमा सिंह के प्रकरण में स्थानांतरण के बाद आदेश जारी किया। आरोप है कि सभी प्रकरणों में भू माफियाओं से मिली भगत कर करोड़ों रुपये की वसूली की गई। पुनर्वास की भूमि बिक्री की अनुमति प्रदान की गई है। उसमें से आधे से अधिक की अनुमति एक ही दिन 26 मई 2022 को प्रदान की गई। भू माफियाओं से मोटी रकम लेकर यह आदेश दिया गया है।

क्या है बांग्लादेशी पुनर्वास भूमि यह जानिए?
पुनर्वास की भूमि क्या होता है। ये आम भूमि से अलग क्यों हैं। ये किसे मिलती है? ये तमाम बातों को पहले आपको समझना होगा। तब आप इसकी गंभीरता को समझ सकते हैं। दरअसल वर्ष 1970-71 का वह दौर जब आज का बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। पाकिस्तान से अलग होकर एक अलग देश बांग्लादेश बना। स्वाभाविक है नया राष्ट्र बनने के बाद बांग्लादेश से काफी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी भारत आए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शरणार्थियों को ना सिर्फ शरण दी, बल्कि उन्हें जीविकोपार्जन के लिए ऊपजाऊ भूमि भी उपलब्ध करायी गई। देश के साथ सरगुजा जिले के अम्बिकापुर, भगवानपुर, चठीरमा, सरगांव, गांधीनगर सहित एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों एकड़ भूमि उन्हें आबंटित की गई, जिनमें आज भी बंगलादेशी शरणार्थी रहते हैं और खेती भी करते हैं।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here