RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले को केंद्र सरकार ने नक्सल मुक्त घोषित कर दिया है। बस्तर संभाग का बस्तर नक्सलमुक्त एलडब्ल्यूई (Left-wing Activism) जिले की सूची से बाहर हो गया है। 1980 के दशक में बस्तर अति नक्सल प्रभावित जिला हुआ करता था, लेकिन लगातार सुरक्षा बलों की पैठ से बस्तर के अंदरूनी इलाकों में फोर्स ने कब्जा जमा लिया। यही कारण है कि अब केंद्र सरकार ने बस्तर को लेफ्ट विंग एक्टिविज्म से मुक्त घोषित कर दिया है। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगल में माओवादी संगठन के महासचिव खूंखार नक्सली बसवा राजू की मौत के सप्ताहभर बाद यह बातें सामने आई है।
बता दें कि कई दशक तक नक्सलियों का मुख्य किला रहा बस्तर अब नक्सलवाद से मुक्त हो चुका है। केंद्र सरकार ने एलडब्ल्यूई (LWE) जिलों को मिलने वाली विशेष केंद्रीय मदद को भी बस्तर में बंद कर दिया है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि बस्तर के इलाकों में कैंप स्थापित होने से नक्सलियों की कमर टूट चुकी हैं। लगातार फोर्स के दबाव के कारण नक्सली संगठन बैकफुट पर है। सैंकड़ों नक्सलियों ने सरेंडर किया है। पुलिस आगे भी रणनीति बनाकर काम करेगी। बस्तर के कलेक्टर हरीश एस. ने बताया कि अब जिला एलडब्ल्यूई की सूची से हटकर एक लेगसी डिस्ट्रिक्ट के रूप में स्थापित हो चुका है। बस्तर जिले में नक्सलवाद खत्म हो गया है, लेकिन फोर्स की अभी तैनाती रहेगी। बस्तर आईजी ने कहा कि सुरक्षा जरूरी है। नक्सल मूवमेंट को अंडरस्टीमेंट नहीं कर सकते। इधर नक्सल मोर्चे पर तनात फोर्स के लगातार एक्शन से यह भी लगने लगा है कि नक्सलवाद 2026 पहले ही समाप्त न हो जाए।
दरभा के झीरम में हुआ था बड़ा हमला
बता दें कि बस्तर वह जिला है, जहां से अबूझमाड़ और ओडिशा की एक बड़ी लंबी सीमा लगती थी। यहां से दरभा कोलेंग, तुलसीडोगरी, चांदामेटा की पहाड़ियों पर 2 साल पहले तक फोर्स का पहुंचना मुश्किल माना जाता था। इसी जिले की दरभा घाटी में नक्सलियों ने सबसे बड़ा राजनीतिक हमला किया था, झीरमघाटी हमले में कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की मौत हुई थी। अब वही बस्तर नक्सल मुक्त घोषित किया गया है। अति नक्सलवाद प्रभावित जिलों में कांकेर, नारायणपुर, सुकमा और बीजापुर जिला शामिल है। दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवादी घटनाओं में कमी आई है। बस्तर में नक्सली हिंसा पहले की तुलना में खत्म हो गया है।
नक्सलियों के पास एक ही विकल्प- सरेंडर
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि बीते वर्षों में सुरक्षा बलों के एक्शन, फोर्स के कैंप खोलने, राज्य सरकार और स्थानीय जनता के संयुक्त प्रयासों से बस्तर में शांति की बहाली हुई है। लगातार चल रहे विकास कार्य, सड़क निर्माण, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और प्रशासन की सक्रियता ने बस्तर को नक्सलवाद से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई। सुरक्षा बलों के एक्शन से माओवादी संगठन बैकफुट पर है। नक्सलियों का जनाधार कमजोर हो रहा है। जल्द ही पूरे बस्तर संभाग से नक्सलियों का खात्मा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के पास एक ही विकल्प है और वह है सरेंडर… नहीं तो एनकाउंटर में मरना तय है।
मार्च-2026 तक नक्सलवाद होगा खत्मः साय
छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह पूरे देश से नक्सलवाद खत्म करना चाहते है। अभी ज्यादा संख्या में छत्तीसगढ़ में ही नक्सली माने जाते हैं। हमारे जवान मुस्तैदी के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। लगातार एनकाउंटर हो रहे हैं। फोर्स के दबाव से नक्सली बैकफुट पर हैं। मुठभेड़ में माओवादी संगठन के कई इनामी बड़े लीडर मारे जा चुके हैं। नक्सलवाद समाप्ति की ओर है। बस्तर की छवि बदलेगी और रोजगार और पर्यटन के अवसरों में भी वृद्धि होगी।