रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को शासकीय मद से बस्तर में मेला-मड़ई के आयोजन का मुद्दा उठा। जगदलपुर विधायक किरणदेव ने यह सवाल उठाया। इस पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि बस्तर का दशहरा पूरे विश्व में अनूठा है। ऐतिहासिक दशहरा उत्सव के लिए शासन द्वारा 35 लाख रुपये दी जाती है, लेकिन आने वाले समय में 50 लाख की राशि दी जाएगी। इसके अलावा रामाराम महोत्सव और चित्रकोट महोत्सव की राशि भी बढ़ाई जाएगी।
दरअसल, भाजपा विधायक किरण देव ने सदन में सवाल किया कि बस्तर में कितने मेला-मड़ई का आयोजन किया जाता है। इस पर कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि भाजपा की पिछली सरकार में ही मेला-मड़ई के लिए राशि देने की व्यवस्था की थी। चित्रकोट महोत्सव, रामाराम महोत्सव और दशहरा महोत्सव के लिए राशि उपलब्ध कराई जाती है। ऐतिहासिक मेला-मड़ई और छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़े आयोजन के खर्च को नकाफी बताया गया।
विधायक किरणदेव ने उठाया सदन में मुद्दा
भाजपा विधायक किरण सिंहदेव ने शासन से मिल रही राशि को कम बताते हुए सवाल किया कि क्या सरकार अधिक राशि देगी। इस पर संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल कहा कि दशहरा महोत्सव के साथ रामाराम महोत्सव और चित्रकोट महोत्सव के लिए दी जाने वाली राशि में बढ़ोतरी की जाएगी। दहशरा उत्सव के लिए 50 लाख की रुपये दी जाएगी। रामाराम महोत्सव और चित्रकोट महोत्सव के लिए 10 की जगह 15 लाख रुपये दिए जाएंगे। गोंचा पर्व के लिए भी 3 लाख रुपये के स्थान पर अब 5 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा सदन में मंत्री द्वारा की गई।
अनूठी परंपरा और संस्कृति बस्तर की पहचान
बता दें कि बस्तर संभाग के विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा, सुकमा का रामाराम मेला, बस्तर जिले का चित्रकूट महोत्सव, मेला-मंडई, देव गुड़ियों और अन्य पर्वों से बस्तर की विशेष पहचान है। बस्तर की संस्कृति, धरोवर और परंपराओं की देशभर में एक अलग पहचान है। बस्तर संभाग में मेला मंडई, जात्रा और परंपराओं को समेटे हुए वर्षभर आयोजन होते होते हैं। अनूठी परंपराओं और बस्तर की संस्कृति की एक अलग पहचान पूरे विश्व विख्यात है।