रायपुर.न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल सत्ता में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी 2023 में वापसी करने जोर लगा रही है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का फोकस ‘जीरो लैंड’ यानी उन इलाकों पर है, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सीटें नहीं मिली है। बस्तर की सियासी बंजर जमीन पर ‘कमल’ खिलाने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को बस्तर आ रहे हैं। 20 दिनों के अंतराल में मोदी का यह तीसरा छत्तीसगढ़ दौरा है। रायगढ़, बिलासपुर के बाद अब बस्तर में चुनावी सभा कर प्रधानमंत्री मोदी वोटरों को साधेंगे। बस्तर और सरगुजा के आदिवासी संभागों में कुल 26 सीट है। सत्ता की चाबी इन्हीं दो संभागों से निकलती है, जहां वर्तमान में भाजपा का एक भी विधायक नहीं है। इधर पंजे की पकड़ को मजबूत करने कांग्रेस ने भी नगरनार प्लांट का पासा फेंका है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए दो महीने बाद चुनाव होने हैं। सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने चुनावी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस जहां भरोसे का सम्मेलन कार्यक्रम कर जनता तक पैठ मजबूत करना चाह रही है तो वहीं भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियां और प्रदेश सराकर की नाकामियों को परिवर्तन यात्रा के माध्यम से जनता के बीच लेकर जा चुकी है। बस्तर के दंतेवाड़ा और सरगुजा के जशपुर से परिवर्तन यात्राएं शुरू की गई थी, जिसका समापन बिलासपुर में हुआ है। इससे पहले पीएम ने रायगढ़ में विकास कार्यों की सौगात देते हुए सरगुजा संभाग के आदिवासियों को साधा था। बिलासपुर में किसान और एसटी-एससी वर्ग को साधा। अब बस्तर में फिर आदिवासियों को साधने की कोशिश है। बस्तर में सभा ‘जीरो लैंड’ पर कमल खिलाने की प्लानिंग की रणनीति है।
‘आदिवासी सीटों पर BJP को तगड़ा झटका’
2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को तगड़ा झटका लगा था। सरगुजा संभाग में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। बस्तर में दंतेवाड़ा एकमात्र सीट मिली थी, वह भी उपचुनाव में हाथ से निकल गई। इसे देखते हुए भाजपा ने आदिवासी क्षेत्रों में फोकस करने का फैसला किया है। रणनीति के तहत भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बार-बार छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी खासकर बस्तर और सरगुजा
संभाग के आदिवासी आरक्षित सीटों से ही खुलता है, इसीलिए भाजपा का पूरा जोर इन आदिवासी सीटों पर है।
‘जिसके पाले में आदिवासी उसकी होगी सत्ता’
2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को घेरने भाजपा मास्टर प्लान बनाकर काम कर रही है। बीजेपी ने आदिवासी सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण को लेकर बीजेपी आक्रामक मोड में नजर आ रही है। राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला को मौका देने को भी पार्टी भुनाने की कोशिश करेगी। राजनीतिक प्रेक्षक यह भी मानते हैं कि जिस पार्टी को आदिवासियों को साथ मिलता है उसी की सरकार बनती रही है। बता दें कि 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास सिर्फ 14 विधायक हैं। 5 सीटें जेसीसीजे और बसपा के पास है। भाजपा का फोकस जीरो लैंड सीटों पर है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में 12 और सरगुजा संभाग में कुल 14 सीटें हैं, जहां BJP जीरो सीट है।
‘NMDC नगरनार प्लांट के निजीकरण का विरोध’
बता दें कि बस्तर का किला दोनों पार्टियों के लिए खास मायने रखता है, लिहाजा कांग्रेस-भाजपा के नेता एक-दूसरे को घेराबंदी करने में लगे हैं। बस्तर में पीएम मोदी की सभा है और उसी दिन कांग्रेस ने नगरनार प्लांट के निजीकरण को लेकर बस्तर बंद बुलाया है। कांग्रेस के इस सियासी रणनीति पर भाजपा सत्ता का दुरुपयोग का आरोप लगा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने दो दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कहा था कि नगरनार प्लांट को बेचना (निजीकरण) बस्तर की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। विधायकों ने विधानसभा में संकल्प पारित किया था कि नगरनार प्लांट को राज्य सरकार संचालित करेगी, लेकिन केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को नीलामी से ही बाहर कर दिया है। इधर बस्तर बंद को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव ने लोकतंत्र की हत्या और सत्ता का खुला दुरुपयोग बताया।
‘बस्तर बंद को सर्व आदिवासी समाज का समर्थन’
NMDC के नगरनार प्लांट के निजीकरण के विरोध में कांग्रेस ने बस्तर बंद बुलाया है। सर्व आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ ओबीसी कल्याण समाज ने भी बंद का समर्थन किया है। पीएम नरेंद्र मोदी नगरनार प्लांट का उद्घाटन कर जगदलपुर में सभा को संबोधित करेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के मुताबिक मुख्यमंत्री लोगों को मोदी की सभा में आने से रोक रहे हैं। रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और दीपक बैज ने कहा था यह निजीकरण आदिवासियों के साथ छलावा है। इस प्लांट से आदिवासियों को नौकरी और पुनर्वास की उम्मीद थी, लेकिन इसे भी निजी हाथों में दिया जा रहा है। बंद को बस्तर में चैंबर ऑफ कॉमर्स, परिवहन विभाग और सभी व्यापारिक संगठनों का समर्थन मिला है।