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Wednesday, May 28, 2025

CGMSC घोटाला: 6 आरोपियों के खिलाफ EOW ने कोर्ट में पेश किया 18 हजार पन्नों का चालान, 10 जून तक मिली रिमांड… रिपोर्ट में क्या जानिए…

RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) घोटाला मामले में बड़ी कानूनी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने इस मामले में लगभग 18 हजार पन्नों की चार्जशीट तैयार कर विशेष अदालत में दाखिल कर दी है। EOW द्वारा दायर चार्जशीट में अब तक गिरफ्तार 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं। आज सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने सभी को 10 जून 2025 यानी करीब डेढ़ महीने के लिए न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।

बता दें कि जिन आरोपियों को न्यायिक रिमांड में लिया गया उनमें शशांक चोपड़ा (संचालक, मोक्षित कॉर्पोरेशन), बसंत कुमार कौशिक (तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक, CGMSC), छिरोद रौतिया (बायो मेडिकल इंजीनियर), कमलकांत पाटनवार (उपप्रबंधक), डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बंधे (मेडिकल इंजीनियर) के नाम शामिल हैं। मोक्षित कॉर्पोरेशन ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ शासन को 750 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। बता दें कि इस मामले में कई आईएएस अफसर एसीबी-ईओडब्ल्यू के निशाने पर हैं। कुछ आईएएस अफसरों से पूछताछ भी हो चुकी है।

विशेष कंपनी को टेंडर दिलाने बनाया रास्ता
EOW के वकील डॉ. सौरभ कुमार पांडे ने बताया कि CGMSC घोटाले में जांच के दौरान यह साफ हो गया कि टेंडरिंग प्रक्रिया को जानबूझकर पारदर्शिता से दूर रखा गया था। कई कंपनियों द्वारा तकनीकी शर्तों में बदलाव के आवेदन दिए गए थे, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़ सके, लेकिन उन सबको अनदेखा कर केवल तीन कंपनियों को ही टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया गया। डॉ. पांडे ने बताया कि इन तीनों कंपनियों ने आपस में मिलीभगत कर एक जैसी शर्तों के साथ आवेदन दाखिल किया था, ताकि एक विशेष कंपनी को टेंडर मिलने का रास्ता साफ हो। उन्होंने यह भी कहा कि खरीदे गए उपकरणों की कीमतें बाजार दर से काफी अधिक थीं और गुणवत्ता की जांच भी सही तरीके से नहीं की गई थी।

18,000 पन्नों में टेंडरिंग संबंधी दस्तावेज
डॉ. पांडे के अनुसार, मोक्षित कॉर्पोरेशन और अन्य कंपनियों ने फर्जी दावे किए कि वे उपकरणों का निर्माण खुद करते हैं, लेकिन जांच में सामने आया कि ये दावे झूठे थे। उन्होंने आगे बताया कि चालान में करीब 18,000 पन्नों में टेंडरिंग दस्तावेज, कंपनियों के बीच हुए समन्वय के सबूत, कीमतों की तुलना रिपोर्ट और तकनीकी समितियों के निर्णयों को शामिल किया गया है। EOW के वकील ने कहा कि अभी आगे और भी लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है और यदि आवश्यक हुआ तो और पूरक चालान (Supplementary Chargesheet) भी दाखिल किया जाएगा। फिलहाल अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 जून 2025 की तारीख तय की है।

छत्तीसगढ़ के राजकोष को किया गया खाली
कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य विभाग के CGMSC ने मोक्षित कॉरपोरेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजकोष को खाली किया गया था। इस पूरे मामले को लेकर भारतीय लेखा एंव लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखा था। रीएजेंट और उपकरणों की खरीदी में भारी भ्रष्टाचार किया गया। बाजार दर से कई गुना ज्यादा में खरीदी कर राजकोष खाली किया।

दो साल के ऑडिट में खुली गड़बड़ी की पोल
लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था। ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया। जहां जरूरत नहीं थी वहां उपकरण भेजे गए।

776 केंद्रों में दवा और उपकरण की सप्लाई
छत्तीसगढ़ के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी। ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था। इस फर्जीवाड़ा के बाद स्वास्थ्य केंद्रों के लिए फ्रीज खरीदने की योजना थी, जिसे पकड़ लिया गया था।

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