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Tuesday, March 18, 2025

‘कब तक पिछली सरकार का नाम लेकर बचते रहेंगे’, छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास ने किस मामले में कहा ऐसा…

RAIPUR. newsupindia.com
छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने जल जीवन मिशन के तहत 2025 तक केंद्रांश के रूप में प्राप्त राशि की जानकारी मांगी। भाजपा विधायक द्वारा केंद्रांश से कम राशि मिलने का ठीकरा पूर्ववर्ती सरकार पर फोड़े जाने पर नेता प्रतिपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि कब तक पिछली सरकार का नाम लेकर बचते रहेंगे। पिछले कामों और केंद्र से मिले राशि की आप जांच करवा सकते हैं, जांच करवा लीजिए…।

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के सवाल के जवाब में डिप्टी सीएम अरुण साव ने बताया कि सत्र 2024-25 में फरवरी 2024 तक 191.59 करोड़ केंद्रांश प्राप्त हुआ है, जबकि राज्यांश राशि के रूप में 187.12 करोड़ की स्वीकृति दी गई है। इस पर डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि केंद्रांश और राज्यांश बराबर होना चाहिए। 2250 करोड़ रुपये की राशि आना था, डबल इंजन सरकार ने नहीं दिया। इस पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि भारत सरकार ने 2028 तक जल जीवन मिशन की अवधि बढ़ाई है। जल जीवन मिशन का काम 50-60% पूरा हुआ है, इसी अनुसार राशि आई है।

भुगतान नहीं, ठेकेदार काम से पीछे हट रहे
साव ने सदन को बताया कि 29126 स्वीकृत योजनाओं की संख्या है। 41 हजार से अधिक टैंक बनाए गए हैं। 5908 टंकियों का निर्माण हो गया है, लेकिन पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। इस पर चरणदास महंत ने पूछा कि क्या काम होने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने बताया कि भुगतान सतत प्रक्रिया है। राशि की उपलब्धता के आधार पर भुगतान की जाएगी। इस पर महंत ने कहा कि पैसे नहीं मिलने के कारण ठेकेदार काम नहीं कर रहे हैं। ठेकेदारों के काम नहीं करने के कारण काम धीमा हो गया है, इसलिए केंद्र सरकार राशि नहीं दे रही है।

केंद्रीय एजेंसियों पर विपक्षियों को भरोसा नहीं
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक राजेश मूणत ने कहा कि पुराने सरकार के कर्म की वजह से ये स्थिति आज है। जब आपकी सरकार थी, तब निर्देश दे सकते थे। इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि कब तक यह कहकर बचेंगे कि पुराने सरकार का है। आप जांच करवा सकते हैं, जांच करवा लीजिए…। इस पर धर्मजीत सिंह ने कहा कि जांच की मांग करते हैं और फिर वहीं ईडी, सीडी को लेकर जुलूस निकालते हैं। केंद्रीय एजेंसियों पर विपक्षियों को भरोसा नहीं है।

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