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Thursday, May 29, 2025

भारतमाला मुआवजा घोटालाः जांच में मिले 150 संदिग्ध खाताधारक, राजस्व विभाग ने लगाया चूना… ACB-EOW के निशाने पर कई नेता और अफसर…

RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किलोमीटर सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस सड़क निर्माण से जमीन अधिग्रहण और मुआवजा में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, आरआई और पटवारी को सस्पेंड किया गया है, जबकि दर्जनभर से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा चुकी है। भारतमाला प्रोजेक्ट के भू-अर्जन घोटाले में एक और नया खुलासा हुआ है। एसीबी-ईओडब्ल्यू की अब तक की जांच में 150 संदिग्ध लोगों की जानकारी और उनके 130 बैंक खातों के बारे में पता चला है, जिसकी गहनता से इस वक्त जांच की जा रही है।

मुआवजा जिन खातों में ट्रांसफर किए गए हैं, उनमें महासमुंद और अभनपुर के लोग शामिल हैं। महसमुंद के आईसीआईसीआई बैंक के 130 बैंक खाते मिले हैं। इन खातों के जरिए कितने रूपये का लेन-देन हुआ है इसकी जांच जारी है। अधिग्रहण की सूचना के बाद फर्जी लोगों को जमीन का मालिक बनाकर बैकडेट में जमीन का मालिक भी बनाया गया है। मंत्रालय से 15 किलोमीटर दूसर हुए इस फर्जीवाड़ा की जानकारी अफसरों को भी थी, लेकिन इसे दबाकर रखा गया था। राजस्व के अफसरों ने इस पूरे खेल को खेला और केंद्र और राज्य सरकार को जमकर चूना लगा। दुर्ग जिले में भी प्रोजेक्ट की एसीबी से जांच की मांग हो रही है।

खातों में पैसा आते ही दूसरों को भेजा
इस घोटाला मामले में जांच एसीबी-ईओडब्ल्यू ने पिछले 1 महीने के भीतर दर्जनभर से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें कुछ लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है। इनमें केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी, कारोबारी हरमीत सिंह खनूजा और विजय जैन शामिल हैं। ये सभी न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं। छापेमारी के दौरान बरामद किए गए अहम दस्तावेज और कई लोगों से पूछताछ में 150 संदिग्ध और उनके खातों की जानकारी सामने आई है। भारतमाला प्रोजेक्ट के मुआवजा राशि जिन दो दर्जन किसानों के खाते में आई, यह राशि हरमीत सिंह के खाते में ट्रांसफर होने की जानकारी एसीबी-ईओडब्ल्यू को पता चली है। कई सरकारी अफसर, जमीन के दलाल और कुछ तथाकथित नेता जांच के घेरे में आ रहे हैं। एसीबी-ईओडब्ल्यू इस पूरे मामले की जांच कर रही है।

क्या है भारतमाला मुआवजा घोटाला?
दरअसल भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किमी सड़क निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बनना प्रस्तावित है। इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमीनें अधिग्रहित की है। इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है। विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया था। जांच आगे बढ़ने के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

क्या है भूमि अधिग्रहण का नियम
भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपये सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी। इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा। इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपये मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा। इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपये मिलेंगे। सरकारी पैसे को डकारने के लिए राजस्व विभाग के अफसरों ने पूरी योजना में बड़ा भ्रष्टाचार किया और मुआवजा कई सौ करोड़ रुपये पहुंच गया।

सरकार वसूल करेगी घोटाले की रकम
भारतमाला परियोजना घोटाले करने वालों की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने की कवायद चल रही है। इसके लिए फर्जी तरीके से मुआवजा लेने वाले करीब 150 संदेहियों को चिह्नाकित किया गया है। उनसे पूछताछ कर बयान लेने के साथ ही उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। इसमें राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी, रसूखदार नेताओं के साथ ही जमीन दलाल और जेल भेजे गए आरोपी शामिल है। उक्त सभी लोगों से रिकवरी करने के लिए मुआवजा की राशि का उक्त सभी लोगों से रिकवरी करने के लिए मुआवजा की राशि का हिसाब किया जा रहा है। इसकी वसूली करने के लिए बैंकों में जमा रकम और घोटाले से अर्जित राशि से खरीदे गए चल-अचल संपत्तियों को सीज किया जाएगा।

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