रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) द्वारा मोक्षित कार्पोरेशन से की गई 660 करोड़ की रिएजेंट खरीदी की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) जांच करेगी। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने ध्यानाकर्षण के दौरान इस संबंध में घोषणा की। साय सरकार की इस घोषणा से पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के दौरान 2021-22 में पंजीकृत हुए मोक्षित फार्मास्यूटिकल कंपनी का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर होगा। स्वास्थ्य विभाग के कई अफसर भी अब इस जांच के दायरे में आएंगे।
भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक द्वारा सदन में रिएजेंट खरीदी की मुद्दा उठाया था, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि पिछली सरकार में सुनियोजित रूप से भ्रष्टाचार हुआ। बिना जरूरी, बिना डिमांड के रिएजेंट सप्लाई की गई। 28 करोड़ की रिएजेंट खराब हो चुकी है और आगे भी खराब होने की आशंका है। विधानसभा में रिएजेंट और उपकरण सप्लाई की जांच ईओडब्ल्यू से कराए जाने की घोषण के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। घोटाले को अंजाम देने वालों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं।
फर्जीवाड़ा बगैर सांठगांठ के संभव ही नहीं
विधानसभा में पूर्व के सत्र में सरकार के दिए गए लिखित जवाब में बताया गया था कि मोक्षित कार्पोरेशन ने बाजार दर से कहीं ज्यादा कीमत पर रिएजेंट की सप्लाई कर बड़ा मुनाफा कमाया है। विधानसभा में दी गई एक जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ था कि कुल 182 जांच उपकरण, मशीन और केमिकल रिएजेंट की खरीदी की गई थी। इस खरीदी पर कुल 608 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। छत्तीसगढ़ सरकार को की गई स्वास्थ्य सामानों की सप्लाई में 4 गुना से लेकर 200 गुना तक मुनाफा कमाया गया। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बगैर सांठगांठ के संभव भी नहीं है।
बाजार मूल्य से ज्यादा कीमत पर खरीदी
फार्मा से जुड़े सूत्रों की मानें तो बाजार में जिस रिएजेंट की कीमत करीब 31 हजार रुपये है, उसे करीब 1 लाख 96 हजार रुपये में खरीदा गया। डायसिस कंपनी के एक अन्य रिएजेंट की कीमत जहां 28 हजार 417 रुपये थी, वहां इसकी खरीदी 1 लाख 76 हजार रुपये में कर दी गई। इसी तरह डी डीमर एफएस रिएजेंट की खुले बाजार में कीमत करीब 70 हजार रुपये है, उसे करीब 5 लाख 86 हजार रुपये में खरीदा गया। इसी तरह अन्य दवाओं, उपकरणों और रिएजेंट की सप्लाई में बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर खरीदी कर छत्तीसगढ़ शासन को चूना लगाया है।
ऑडिट में आपत्ति के बाद भी टेंडर निरस्त नहीं
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की ओर से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को सौंपे गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि ऑफिस ऑफ द प्रिंसिपल अकाउंट जनरल ऑडिट ऑब्जरवेशन ने बड़ी गड़बड़ी पकड़ी थी। ऑडिट ऑब्जरवेशन 29 जनवरी 2021 से 15 मार्च 2021 तक की गई थी। इस ऑडिट में 193 करोड़ रुपये की खरीदी में आपत्ति जताई गई थी। ऑडिट रिपोर्ट में की गई आपत्ति के बावजूद टेंडर निरस्त नहीं किया गया और मोक्षित कर्पोरेशन ने अपनी सप्लाई जारी रखी।
क्या होता है रिएजेंट यह भी जानिए
रिएजेंट का उपयोग विभिन्न तरह की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह एक तरह का विशेष कैमिकल होता है, जिसे ब्लड के सैंपलों में मिलाकर जांच की जाती है। रक्त से संबंधित तमाम तरह की जांच में रिएजेंट का उपयोग किया जाता है। महामारी कोविडकाल में संक्रमण की पहचान के लिए भी व्यापक स्तर पर ऐसे ही रिएजेंट का उपयोग ट्रूआर नॉट मशीन में किया गया था।
फैक्ट फाइल
950 स्वास्थ्य केंद्रों में हुई थी सप्लाई
30 जिला अस्पताल
170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
750 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
मंत्री और विधायक ने विधानसभा में क्या कहा…
पिछली सरकार में सुनियोजित रूप से भ्रष्टाचार हुआ। बिना जरूरी, बिना डिमांड के रिएजेंट सप्लाई की गई। 2021-22 में पंजीकृत हुए मोक्षित फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा सप्लाई सामानों की जांच की घोषणा विधानसभा में की गई है। – श्याम बिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़
दवा कंपनी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए। विधानसभा में मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने ईओडब्ल्यू से जांच कराने की घोषणा की है। जांच से गड़बड़ी सामने आएगी। – धरमलाल कौशिक, विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष