रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2160 करोड़ रुपये के शराब घोटाला केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। लखमा के साथ उनके बेटे हरिश लखमा को भी गिरफ्तार किया गया है। शराब घोटाले केस में उन्हें पूछताछ के लिए रायपुर के ईडी दफ्तर बुलाया गया था। लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है। ईडी ने जिस समय शराब घोटाला उजागर किया था तब लखमा आबकारी मंत्री थे।
बता दें कि ईडी ने बुधवार को ईडी ने लखमा को तीसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद ईडी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। अब जल्द ही ईडी कवासी लखमा और हरीश लखमा को कोर्ट में पेश करेगी। शराब घोटाला मामले में 28 दिसंबर को ईडी ने पूर्व मंत्री लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापा मारा था। छापेमार कार्रवाई में ईडी ने नकद लेन-देन के सबूत मिलने की जानकारी दी थी। 3 जनवरी को पूछताछ के बाद ईडी ने दोनों को छोड़ दिया था। इसके बाद 9 जनवरी को लखमा से 8 घंटे तक ईडी के अफसरों ने पूछताछ की थी।
शराब घोटाला को भी जानिए…
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और पूर्व सीएम की उप सचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है। रायपुर का अनवर ढेबर अफसरों के साथ मिलकर अवैध रुप से सिंडिकेट चला रहा है। इस खुलासे के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 18 नवंबर 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। ईडी ने अब तक 2161 करोड़ रुपये के घोटाले की चार्जशीट में जिक्र अदालत में किया है।
अरुणपति त्रिपाठी को बनाया एमडी
ईडी की चार्जशीट के अनुसार साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर सीएसएमसीएल के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को सीएसएमसीएल का एमडी नियुक्त कराया। उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया और 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। सीएसएमसीएल के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी मनपसंद डिस्टिलर की शराब को परमिट करते थे. देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था
तीन कंपनियों के ही शराब की बिक्री
कमीशन की रकम का त्रिपाठी एक्सेलशीट तैयार कर अनवर ढेबर को भेजता था। अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब की बेधड़क बिक्री की, जिससे राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ। आपराधिक सिंडिकेट के जरिये सीएसएमसीएल की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल थी।