रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कसता जा रहा है। पूर्व आबकारी मंत्री और विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद अब उनकी Z श्रेणी की सुरक्षा हटा दी गई है। लखमा की गिरफ्तारी के बाद उन्हें जब कोर्ट में पेश किया गया था तब सिक्योरिटी साथ थी। ED ने लखमा के सीए को तलब किया था, लेकिन वे आउटऑफ सिटी होने के कारण नहीं आए। लखमा के करीबी लोग अब ED के रडार पर हैं।
सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाला केस में ED को कई आबकारी अधिकारियों के खिलाफ सबूत मिले हैं, इसलिए उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। कुछ अफसरों से ED पहले भी पूछताछ कर चुकी है। पूर्व मंत्री लखमा के बेटे हरीश लखमा और पत्नी के खातों में जमा हुए पैसों का ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड भी चेक किया जा रहा है। लखमा को शराब की पॉलिसी बदलने के एवज में हर महीने 2 करोड़ मिलने का दावा ईडी के वकील ने किया है। लखमा को 36 महीने में 72 करोड़ रुपये मिले हैं। ED 2020 के बाद से लखमा, उनकी पत्नी और बेटे हरीश सहित परिवार के अन्य सदस्यों के बैंक खातों में ट्रांसफर होने वाली रकम का रिकॉर्ड चेक कर रही है। यह देखा जा रहा है कि कब-कब कितने पैसों का ट्रांजेक्शन किया गया है।
शराब घोटाले के पैसों के लेन-देन में पूर्व मंत्री के पीए जयंत देवांगन से पूछताछ की जा चुकी है। इस दौरान पीए की सीधी भूमिका सामने आई है। पूर्व मंत्री के पीए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय भाषा विभाग में कार्यरत थे। वे यहां डेपुटेशन पर आए और जनसंपर्क विभाग में पदस्थ किए गए। वहीं से उन्हें आबकारी मंत्री का पीए बनाया गया था। इनके अलावा आबकारी अधिकारी कन्हैया लाल कुर्रे और जगन्नाथ साहू के खिलाफ भी ED को अहम जानकारी मिली है। शराब घोटाले में अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह, अरविंद सिंह सहित कई लोग अभी जेल में हैं। जानकारों के अनुसार इन तीनों के अलावा शराब सिंडिकेट में शामिल कुछ लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। ईडी की जांच अभी जारी है।