बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) के लमनी रेंज में एक बाघिन की मौत हो गई है। बाघिन का शव चिरहट्टा इलाके में मिला है। मौत कैसे हुई है इसकी पुष्टी नहीं हुई है। बाघिन के गले में नुकीली चीज से वार के निशान मिले हैं, जिससे बाघिन के शिकार की आशंका है। वहीं टाइग्रेस की मौत पर एटीआर के अफसरों की लापरवाही सामने आई है। फिलहाल वन विभाग की टीम मामले की जांच कर रही है, लेकिन लगातार वन्यजीवों की मौत से सुरक्षा दावों की पोल खुल रही है। एसी दफ्तरों में बैठकर वन्यप्राणियों की सुरक्षा का दावा खोखला साबित हो रहा है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत हो गई है, जिसका संदिग्ध परिस्थितियों में शव मिला है। मृत बाघिन की पहचान AKT -13 के रूप में किया गया है। मृत बाघिन की उम्र लगभग 4 साल बताई जा रही है। बाघिन की मौजूदगी शुरू से ही लमनी क्षेत्र में थी, इससे बाहर वो कभी नहीं गई। सबसे बड़ी बात तो यह है कि घटना के दो दिनों बाद तक एटीआर प्रबंधन अनजान रहा। किसी को मौत के बारे में भनक तक नहीं लगी। गुरुवार को सर्चिंग के दौरान स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की टीम जब वहां से गुजरी, तब उन्हें मृत बाघिन नजर आई। अब प्रबंधन का दावा है कि बाघ से संघर्ष के दौरान बाघिन की जान गई है। मौत कैसे हुई इसकी सही वजह पीएम रिपोर्ट से सामने आएगी।
वन्यजीवों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों ने मृत टाइगर के बारे में ATR के अधिकारियों को सूचना देने के लिए मोबाइल नंबर से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन अफसरों का मोबाइल बंद था। एटीआर के आला अधिकारी बाघ की मौत को लेकर बयान देने से बचते रहे। ATR के अफसर बाघों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। जंगल के अंदर बाघ की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। एटीआर में बाघ की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है, ताकि एटीआर के टाइगर को सुरक्षा हो सके। एटीआर के अफसर बाघों की निगरानी करने का दावा करते हैं, लेकिन युवा टाइगर की मौत से सभी दावे फेल हो गए हैं। भारी भरकम राशि कहां खर्च की जा रही है, किसी का पता नहीं है।
विभाग की लापरवाही से मर रहे वन्यजीव
मंगलवार को धरमजयगढ़ वन मंडल के क्रोध बीट में करंट की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई थी। इस इलाके में पिछले एक महीने से 12 गौतमी हाथियों का दल विचरण कर रहा है। मंगलवार रात एक हाथी झुंड से बिछड़कर खेत की ओर आया। वहां लगाए गए करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। वहीं बुधवार को रायगढ़ जिले के मुसबहरी डेम में एक 2 साल के हाथी शावक की मौत हो गई थी। झुंड से भटक कर शावक दलदल में फंस गया था। कुछ दिन पहले सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के बगड़ा में नर दंतैल हाथी का शव मिला था। मृत हाथी की उम्र 12 साल बताई गई थी। जंगल में वन्य जीवों की लगातार मौत से विभाग की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।