RAIPUR. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का निधन हो गया है। हार्टअटैक से उनके निधन की खबर है। एसीआई में उपचार के दौरान उनका निधन हुआ है। परिवार के करीबी ने उनके निधन की पुष्टि की है। पद्मश्री सुरेंद्र दुबे न सिर्फ छत्तीसगढ़ के कवि थे बल्कि वे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े कवि के रूप में भी जाने जाते थे। सुरेंद्र दुबे के निधन पर राजनीतिक, प्रशासनिक और साहित्य जगत की हस्तियों ने शोक जताया है।
मिली जानकारी के अनुसार दो दिन पहले ही सुरेंद्र दुबे को हार्टअटैक आया था, जिसके बाद उन्हे उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। सुरेंद्र दुबे की निधन की खबर के बाद रायपुर कलेक्टर मेकाहारा के एसीआई सेंटर पहुंचे हैं। सीएम विष्णुदेव साय, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, गृहमंत्री विजय शर्मा ने शोक जताया है। पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे अपने कविताओं से सबको हंसाया करते थे। वे अपनी मौत की अफवाह पर कवितापाठ के दौरान खुद को टाइगर अभी जिंदा है… जैसे शब्दों से संबोधित करते थे।
साल 2010 में मिला पद्मश्री सामन
बता दें कि सुरेंद्र दुबे हास्य कविताओं के व्यंग्यवादी लेखक एवं कवि रहे हैं। वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने कई किताबें भी लिखी। वह कई मंचों और टेलीविजन शो पर दिखाई देते रहे हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हास्य रत्न पुरस्कार भी प्राप्त किए थे।
सुरेंद्र दुबे को सुनने उमड़ पड़ती थी भीड़
सुरेंद्र दुबे को सुनने के लिए भारी भीड़ पहुंचती थी। हास्य और व्यंग्य को अक्सर हल्के में लिया जाता है, लेकिन डॉ. दुबे जैसे कवियों ने इसे गंभीर साहित्यिक विधा बना दिया। उनकी कविताएं केवल हँसी नहीं देती थीं, वे भीतर झाँकने का मौका भी देती थीं। मंच पर उनका आत्मविश्वास, प्रस्तुति की शैली और चुनी हुई शब्दावली श्रोताओं को बाँध लेती थी।वे कई राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों का हिस्सा रहे, दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर भी उन्होंने अपनी उपस्थिति से कविताओं को घर-घर पहुँचाया। हास्य में गंभीर बात कहने की जो कला उन्होंने विकसित की, वह उन्हें समकालीन कवियों से अलग करती है।
सीएम विष्णुदेव साय ने जताया शोक
सीएम विष्णु देव साय ने अपने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर लिखा कि छत्तीसगढ़ी साहित्य व हास्य काव्य के शिखर पुरुष, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। अचानक मिली उनके निधन की सूचना से स्तब्ध हूँ। अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता से उन्होंने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई।