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Sunday, September 8, 2024

झीरम घाटी पर सियासतः CM भूपेश बोले- फैसला न्याय का दरवाजा खोलने जैसा, डॉ. रमन बोले- सबूत जेब में होने का दावा किया था, उनका क्या होगा…?

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी हमले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा- झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाजा खोलने जैसा है। इस पर डॉ. रमन सिंह ने भी ट्वीट किया है।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सोशल मीडिया एकाउंट X पर लिखा- ‘हाँ! दाऊ भूपेश बघेल जी इस मामले की जाँच से षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश होना चाहिए। लेकिन यह तो बताइए कि 2018 से पहले जिन्होंने झीरम के सबूत जेब में होने का दावा किया था उनका क्या होगा? 5 साल तक आपने तो झीरम जैसे गंभीर मुद्दे का राजनीतिक लाभ लिया, लेकिन अब भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश की व्यवस्था के अनुरूप इस पूरी घटना की न्यायिक जाँच होगी।’

‘लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड’
सीएम भूपेश बघेल ने X पर लिखा- ‘झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फ़ैसला छत्तीसगढ़ के लिए न्याय का दरवाज़ा खोलने जैसा है। झीरम कांड दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। इसमें हमने दिग्गज कांग्रेस नेताओं सहित 32 लोगों को खोया था। कहने को एनआईए ने इसकी जांच की, एक आयोग ने भी जांच की, लेकिन इसके पीछे के वृहत राजनीतिक षडयंत्र की जांच किसी ने नहीं की। छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच शुरू की तो एनआईए ने इसे रोकने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। आज रास्ता साफ़ हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस इसकी जांच करेगी। किसने किसके साथ मिलकर क्या षडयंत्र रचा था। सब साफ़ हो जाएगा। झीरम के शहीदों को एक बार फिर श्रद्धांजलि।’

बस्तर के झीरम में 32 लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि बस्तर के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को माओवादियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था, इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, पीसीसी चीफ नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला, कांग्रेस नेता उदय मुदलियार सहित कुल 32 लोगों की जान गई थी। उस समय छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी। छत्तीसगढ़ में साल 2018 में सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने झीरम घाटी हिंसा मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इसके साथ ही राज्‍य पुलिस ने एनआईए से मामले के दस्‍तावेज मांगे थे, लेकिन जांच एजेंसी ने दस्‍तावेज देने से मना कर दिया था। उसके बाद कोर्ट में छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच के आदेश को चुनौती दी थी।

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