रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में लंबे समय से जेल में बंद निलंबित आईआएस रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया, कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी समेत 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। यह जमानत एंटी करप्शन ब्यूरो के एफआईआर पर दी गई है। कई आरोपियों पर एक से अधिक मामले दर्ज हैं, इसलिए इस जमानत का लाभ सौम्या चौरसिया सहित कुछ आरोपियों को नहीं मिल पाएगा। एसीबी ने डीएमएफ मामले में भी अपराध दर्ज किया है और आरोपियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
बता दें, ईडी की जांच रिपोर्ट और आरोपों के आधार पर ACB ने कोयला घोटाला मामले की जांच कार्रवाई में इन्हें गिरफ्तार किया था। एसीबी ने कोल घोटाला मामले में तीनों के अलावा दीपेश टॉक, राहुल कुमार सिंह,शिव शंकर नाग, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल, संदीप कुमार नायक, रोशन कुमार सिंह, शेख मोइनुद्दीन कुरैशी को भी गिरफ्तार किया था। कोयला घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ की सियासत काफी गरमाया रहता है।
जानिए क्या है कोयला घोटाला मामला
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में 570 करोड़ रुपये की अवैध कोल लेवी वसूली का खुलासा हुआ था. ईडी का दावा है कि खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी कर कोल परिवहन में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर दिया था, जिससे व्यापारियों से वसूली की जा सके. वहीं इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है, जिसपर ED के अनुसार निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया का हाथ था। ईडी के मुताबिक सूर्यकांत तिवारी ने 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम वसूलने के लिए एक सिंडिकेट बनाया था। व्यापारियों से अवैध रकम वसूलने के बाद ही उन्हें खनिज विभाग से पीट पास और परिवहन पास जारी किए जाते थे। इस मामले की जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों एवं व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।