RAIPUR. newsupindia.com
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम तक बन रही (वाइजैग) इकोनॉमिक कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी के मामले में राज्य शासन ने तत्कालीन एसडीएम और अभी जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड कर दिया है। निर्भय पर कार्रवाई जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद हुई है। ऐसी चर्चा है कि एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी के सिंडिकेट ने बैक-डेट पर बनाए दस्तावेज बनाए। बड़े जमीन के सौदागर भी इस फर्जीवाड़ा में शामिल हैं। मंत्रालय से 15 किमी दूर ही केंद्र सरकार के 300 करोड़ का डाका हो गया और अफसर जानकार भी अंजान बने रहे।
सूत्रों के मुताबिक नेशनल हाईवे के अफसरों ने 2022 से 2024 तक रायपुर कलेक्टर को लगातार 5 रिमाइंडर भेजी कि रायपुर-विशाखापट्टनम भारतमाला परियोजना में राजस्व अधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर 300 करोड़ के मुआवजा का खेला कर दिया है, इसकी जांच कराएं, लेकिन कलेक्टरों ने रुचि नहीं दिखाई। रायपुर कलेक्टर ने महीनेभर पहले जो जांच रिपोर्ट भेजी, वो हिलाने वाला था। 35 करोड़ के मुआवजा की जगह एसडीएम ने 326 करोड़ का क्लेम बना दिया और उसमें से 248 करोड़ रुपये बांट भी दिया। मंत्रालय से 15 किमी की दूरी पर ही अभनपुर है। तब भी राजस्व विभाग के अफसरों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। उल्टे राजस्व मंत्री से विधानसभा में गलत जवाब दिलवा दिया।
2019 से 2021 तक हुआ घोटाला
एसडीएम ने मुआवजे के वितरण में बड़ा घोटाला किया। नियमानुसार इस परियोजना के लिए 35 करोड़ रुपये का मुआवजा निर्धारित था, लेकिन छोटे टुकड़ों में जमीन बांटकर इसे 326 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें से 248 करोड़ रुपये का वितरण भी हो चुका था। बची हुई 78 करोड़ रुपये की राशि को लेकर किसानों के विरोध के बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। 2019 से लेकर 2021 तक के बीच इस घोटाले का अंजाम दिया गया।
इस तरह खेला गया फर्जीवाड़ा का खेल
भूमि अधिग्रहण के तहत 3ए अधिसूचना जारी होने के बाद भूमि की बिक्री और पुनर्वितरण प्रतिबंधित हो जाती है, लेकिन अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में इस प्रतिबंध के बावजूद 32 प्लॉटों को 247 छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया, ताकि नेशनल हाईवे से अधिक मुआवजा लिया जा सके। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, 32 प्लॉटों के लिए 35 करोड़ रुपये का मुआवजा बनता था, लेकिन एसडीएम ने प्रभावशाली लोगों से मिलकर इन्हें 247 टुकड़ों में बांटा और 248 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया। इसके अतिरिक्त, 78 करोड़ रुपये का और दावा किया गया था।
दिल्ली से बढ़ा दबाव तब हुआ खुलासा
248 करोड़ रुपये जारी होने के बाद जब 78 करोड़ रुपये के और दावों की जांच की गई, तब नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अफसरों को गड़बड़ी का संदेह हुआ। इसके बाद एनएचएआई के चीफ विजिलेंस ऑफिसर ने रायपुर कलेक्टर से मामले की जांच कराने को कहा। एनएचएआई ने कई बार पत्र भेजे, लेकिन जांच पेंडिंग ही रहा। दिल्ली से दबाव बढ़ने के बाद एक माह पहले ही रिपोर्ट राजस्व सचिव को भेजी गई। जांच रिपोर्ट में भारी गड़बड़ी की पुष्टि हुई। मुआवजा 35 करोड़ रुपये के आसपास ही बनता था, लेकिन इसे 326 करोड़ पहुंचा दिया गया। मुआवजा में भी राजस्व अफसरों ने कमाई की है।
बिजनेसमैन और जमीन दलाल भी शामिल
जैसे ही भारतमाला रोड प्रोजेक्ट की घोषणा हुई, रायपुर और धमतरी के बड़े बिजनेसमैनों ने आस-पास की जमीनें खरीद लीं। कानून के अनुसार 500 वर्गफुट से छोटे प्लॉट पर आठ गुना अधिक मुआवजा मिलता है। इस नियम का फायदा उठाते हुए जमीनों को छोटे टुकड़ों में बांटकर अधिक मुआवजा लिया गया। विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस घोटाले को उठाया था। राजस्व मंत्री के जवाब में यह कहा गया कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने निर्देश दिया कि अगले प्रश्नकाल में इस पर विस्तृत जानकारी दी जाए।
पैसों के लिए काम रुका, किसानों का विरोध
78 करोड़ रुपये की राशि अटकी होने के कारण किसानों ने विरोध शुरू कर दिया और सिक्स लेन निर्माण कार्य को रोक दिया। इस मामले को लेकर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव की बैठक भी हुई थी, जिसमें परियोजना को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया गया था। ऐसे बताया जाता है कि काम रुकवाने के लिए अफसरों और जमीन से जुड़े दलालों ने ग्रामीणों को उकसाया, तब मामले का खुलासा हुआ।
464 किलोमीटर की सिक्स लेन सड़क
रायपुर से विशाखापट्टनम तक 25,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह 464 किलोमीटर लंबा सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से होकर गुजरेगा। छत्तीसगढ़ में 124 किलोमीटर, ओडिशा में 240 किलोमीटर और आंध्र प्रदेश में 100 किलोमीटर इसका हिस्सा होगा। इस हाईवे के बनने से रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 590 किलोमीटर से घटकर 464 किलोमीटर रह जाएगी। यात्रा में 14 घंटे के बजाय लगभग 7 घंटे लगेंगे।
शासन ने एसडीएम को निलंबित किया
राज्य सरकार ने निलंबन आदेश जारी करते हुए कहा कि निर्भय कुमार साहू ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। उनके इस कृत्य को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के तहत अनुशासनहीनता माना गया है। निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय बस्तर संभाग, जगदलपुर निर्धारित किया गया है और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। यह चर्चा भी है कि शासन को दोषी एसडीएम पर कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लग गया। वहीं तहसीलदार, पटवारी, आरआई की भूमिका की भी जांच होने की बात सामने आई है।
1000 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका
भाजपा के शासनकाल में मंत्री रहे चंद्रशेखर साहू ने दिसंबर-2021 में प्रेस कांफ्रेंस कर छत्तीसगढ़ में करोड़ों के मुआवजा घोटाले की बात कहते हुए केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी। चंद्रशेखर साहू का आरोप था कि भू-अर्जन और मुआवजा वितरण में नियमों को ताक पर रखकर पुरानी तारीखों पर ही जमीन का बटांकन एवं नामांतरण की कार्यवाही धड़ल्ले से की गई। राजस्व नियमों के विपरीत अधिसूचना जारी होने के बाद पिछली तिथियों में रातोरात जमीनों का बटांकन, डायवर्सन किया गया, ताकि कुछ लोगों को अधिक मुआवजा दिलाया जा सके। अभनपुर जिले में 330 करोड़ के घोटाले की बात उन्होंने कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि एक ही विकासखंड में इतना बड़ा घोटाला हुआ है तो परियोजनाओं से संबंधित 10 जिलों में भी घोटाला तय है। उन्होंने 1000 करोड़ से भी अधिक के घोटाले की आशंका जताई थी।