विदिशा. न्यूजअप इंडिया
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में अदालत के एक फैसले से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। कोर्ट के आदेश पर जब एसडीएम कार्यालय का सामान जब्त करने पुलिस पहुंची तो अजीब स्थिति बन गई। जिस कुर्सी पर एसडीएम साहब बैठते हैं, उसे भी जब्त कर लिया गया है। सिरोंज तहसील कार्यालय में इस अनोखी कार्रवाई के दौरान काम कराने आए ग्रामीण समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर कार्यालय को खाली क्यों किया जा रहा है। क्या कार्यालय कहीं और शिफ्ट हो रहा है?
विदिशा जिले के सिरोंज एडीजे न्यायालय के फैसले के बाद एसडीएम कार्यालय का सामान कुर्क कर लिया गया है। यह कुर्की मुआवजा प्रकरण पर हुई है। एसडीएम कार्यालय में रखे कंप्यूटर, टेबल, एसडीएम की कुर्सी व अन्य सामान को जब्त कर न्यायालय परिसर में लाकर रख दिया गया है। इस घटना में अधिकारियों की लापरवाही साफ नजर आ रही है। राजस्व अमले की लापरवाही की वजह से मध्य प्रदेश शासन की छवि भी धूमिल हुई। अगर समय रहते न्यायालय के आदेश के पालन विभाग द्वारा किया जाता तो सिरोंज एसडीएम कार्यालय को इस स्थिति से नहीं गुजरना पड़ता।
यह है पूरा मामला
दरअसल, यह पूरा मामला 2011 में सिरोंज-गुना हाईवे से जुड़ा है। इस हाईवे पर रोहलपुरा चौराहे के आसपास 82 लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया और मुआवजा दिया गया। मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन (MPRDC) ने रोड का निर्माण किया था। एमपीआरडीसी के लिए तत्कालीन एसडीएम ने भूअर्जन का कार्य किया था। कुछ लोगों को मुआवजा कम लगा और वे इस मामले को लेकर अदालत चले गए। इस केस के प्रमुख आवेदक एडवोकेट कपिल त्यागी ने बताया कि फरवरी 2023 में न्यायालय ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश शासन को दिया था। जिला प्रशासन और MPRDC ने कोर्ट के आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की। कोर्ट के आदेश की अवमानना पर पुनः न्यायालय गए। कोर्ट ने इजरा क्रमांक EXA16/23 से एसडीएम की कुर्सी, टेबल कंप्यूटर आदि सामान जब्त कर न्यायालय परिसर में रखवाया है।
40 हजार का मुआवजा 1 करोड़ के ऊपर पहुंचा
2011 के हिसाब से दी गई मुआवजा राशि के अनुसार एडवोकेट कपिल त्यागी को करीब 40 हजार रुपये का मुआवजा देना तय हुआ था। इसके खिलाफ वे न्यायालय गए, जिसमें फरवरी 2023 को न्यायालय ने उन्हें 29 लाख 5 हजार 200 रुपये प्राप्त करने का अधिकारी माना, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय ने 30% अतिरिक्त ब्याज देने का आदेश दिया है। अब राशि 1 करोड़ 9 लाख 32 हजार रुपये हो गई है। इसी तरह अशोक जैन को 2011 में करीब 30 हजार रुपये मुआवजा फाइनल किया था जो बढ़कर 80,30,452 रुपये हो चुका है। ओमप्रकाश झा को 94,34,885 रुपये, रूपेश यादव को 93,45,874 रुपये, अर्चना भार्गव को 1,11,75,350 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है।
अफसरों की गैर जिम्मेदारी से छवि धूमिल हुई
कोर्ट के आदेश की अवमानना के इस मामले में विदिशा कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैध का कहना है कि एक न्यायालयीन प्रोसेस है। कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। अधिकारियों की गलती स्पष्ट नजर आ रही है, जिन्होंने न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश पर ध्यान नहीं दिया। न्यायालय के आदेश के बावजूद भी आदेश के पालन में या विरोध में न्यायालय में अपील करना तक उचित नहीं समझा। एसडीएम कार्यालय का सामान न्यायालय के आदेश पर कुर्क किया गया है। संबंधित राजस्व अफसरों की इस गैर जिम्मेदारी के कारण प्रशासन की छवि धूमिल हुई। इस पर कार्रवाई करेंगे।