22.1 C
Raipur
Thursday, November 21, 2024

भ्रष्टाचार में लिप्त CMO, तीन इंजीनियर और लेखापाल निलंबित, डिप्टी CM साहब 5 को सस्पेंड करने से काम नहीं चलेगा… नगरीय निकायों में तो पूरा खेल ही चल रहा…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में नगरीय प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही करते हुए 5 लोगों को निलंबित कर दिया है। इनमें से मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) सुमित मेहता समेत 3 इंजीनियर और 1 लेखापाल शामिल है। जारी आदेश के मुताबिक घरघोड़ा नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसकी वजह से इन सभी को निलंबित किया गया है। दरअसल, 7 फरवरी 2024 को एक रिपोर्ट विभाग के पास आई थी, जिसके आधार पर सीएमओ सुमित मेहता, इंजीनियर अजय प्रधान, इंजीनियर प्रदीप पटेल, इंजीनियर निखिल जोशी और लेखापाल जयानंद साहू को निलंबित किया है।

जानकारी के मुताबिक, प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी सुमित मेहता को निलंबित किया गया है, क्योंकि उनके ऊपर किसी भी कार्य को पूरी तरह से निरीक्षण नहीं करने का आरोप लगा था। कई जगहों पर विकास नहीं कराने की बात भी सामने आई थी। काम की गुणवत्ता भी खराब थी, बावजूद पूरा भुगतान हो गया। इंजीनियरों ने ईमानदारी से काम नहीं किया, क्यूब टेस्ट नहीं कराया और बिल पास करने लेखा विभाग को फाइल भेज दिया। लेखापाल ने भी भुगतान कर दिया। सभी को काम के प्रति निष्ठा नहीं बरतने के लिए निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में सभी का मुख्यालय नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक कार्यालय बिलासपुर रहेगा। इन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सिर्फ घरघोड़ा नगर पंचायत में गड़बड़ी मिली है और बाकी सब जगह सही काम हो रहा है, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। डिप्टी सीएम सर… पूरे निकायों में जांच करवा दीजिए बड़ा फर्जीवाड़ा मिलेगा। विष्णुदेव साय के सुशासन को पलीता लगाने सरकारी सेवक और ठेकेदार आतुर हैं।

भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके नगरीय निकाय
प्रदेश के नगरीय निकाय दरअसल, भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके हैं। सीसी सड़क निर्माण, बिल्डिंग निर्माण, नाली निर्माण सहित कमोबेश सिविल से जुड़े सभी कामों में भारी भ्रष्टाचार है। निर्माण की आड़ में पूरा कमीशन का खेल होता है। निर्माण कार्यों का टेंडर सिर्फ दिखावे का होता है। पूरा काम चहेते ठेकेदारों या यूं कहें कि काम से पहले 7% कमीशन देने वालों को सिंडिकेट बनाकर काम दिया जाता है। काम होने के बाद बाकी कमीशन देना पड़ता है। नगरीय निकायों में कुल 20 से 22 प्रतिशत कमीशन निर्माण कार्य में वसूला जाता है। इसमें अध्यक्ष, पार्षद, सीएमओ, इंजीनियर से लेकर बाबू तक सभी का हिस्सा फिक्स रहता है। निर्माण कार्य में राजनीतिक दलों से जुड़े छुटभैय्या नेता ही सबसे ज्यादा सक्रिय हैं।

सेटिंग से मिलता है काम, टेंडर सिर्फ दिखावा
नगरीय निकायों में निर्माण के सभी काम एबो रेट पर होते हैं। ठेकेदार नगर पंचायत या नगरपालिका के अध्यक्षों से मिलकर सेंटिंग बनाते हैं। इसके बाद अध्यक्ष सभी ठेकेदारों को मन मुताबिक काम बांट देता है। इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया होती है। प्रतिस्पर्धा दिखाने अलग-अलग पंजीकृत ठेकेदारों से एबो, बिलो और एवरेज रेट का फार्म भरवाते हैं, लेकिन काम किसे देना है यह पहले से तय होता है। काम बांटने के बाद अखबारों में निविदा प्रकाशित कराई जाती है। यह निविदा सिर्फ दिखावे के लिए होता है। मोटी कमाई के चक्कर में नियम-कायदों को ताक पर रखकर पूरा काम होता है। इस गोरखधंधे को राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग मिलकर खेलते हैं।

काम में गुणवत्ता की नहीं, कमीशन की पूरी गारंटी
सरकारी सिविल के कार्यों में गुणवत्ता की गारंटी हो न हो लेकिन कमीशन की पूरी गारंटी है। निर्माणी ठेकेदार क्यूब टेस्ट कराता ही नहीं। इंजीनियर द्वारा दिए कागज को लेकर जाकर लोक निर्माण विभाग या जहां टेस्ट होना है वहां छोड़ देते हैं। तीन क्यूब शायद ही कोई ठेकेदार ले जाए। एक सप्ताह बाद कुछ ज्यादा पैसे ठेकेदार देता है और क्यूब रिपोर्ट भी मिल जाता है। उसी क्यूब रिपोर्ट के आधार पर भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। दरअसल इस गड़बड़ी को चलाने के लिए पूरा सिस्टम ही ताक पर रख दिया जाता है। अगर कोई अधिकारी अड़ंगा लगाए, काम में कोई लापरवाही हुई या फिर किसी को हिस्सा नहीं मिला तो शिकायत के बाद अधिकारी-कर्मचारी का निपटना भी तय होता है। दो दिन पहले कोरबा नगर निगम में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के हत्थे चढ़ा एई और एसई भी इसी कमीशन की वजह से पकड़ाए हैं। अगर नगरीय निकायों के सिविल कामों की ईमानदारी से जांच कराई जाए तो सभी काम गुणवत्ताहीन ही मिलेंगे।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here