रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस महानिदेशक (DGP) अशोक जुनेजा के सेवा कार्यकाल को छह महीने बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया है। इस संबंध में गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र सरकार से भी अनुमति मिलने के बाद छत्तीसगढ़ शासन के गृह विभाग ने 6 महीने एक्सटेंशन का आदेश जारी कर दिया है। छत्तीसगढ़ के 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अफसर अशोक जुनेजा चार अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले थे। पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने DGP की जिम्मेदारी संभाली थी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद जुनेजा पहले आईपीएस हैं, जिन्हें डीजीपी पद पर एक्सटेंशन मिला है।
एक वरिष्ठ IPS अफसर के अनुसार वर्तमान डीजीपी के सेवा विस्तार का प्रस्ताव इसलिए जरूरी था, क्योंकि नियमत: वर्तमान पुलिस महानिदेशक के रिटायर होने से तीन माह पूर्व राज्य सरकार को तीन सीनियर अधिकारियों के नाम का पैनल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजना होता है, लेकिन राज्य में डीजीपी के अगले चेहरे पर फैसला करने के लिए तीन नामों का पैनल अभी तक यूपीएससी को नहीं भेजा गया है। इसलिए डीजीपी का कार्यकाल बढ़ाना पड़ेगा। राज्य सरकार से प्रस्ताव भेजने के बाद केंद्र से एक्सटेंशन का आदेश जारी हो गया। इधर छत्तीसगढ़ शासन ने रविवार को कार्यकाल में वृद्धि का आदेश रविवार छुट्टी के दिन जारी किया है।
अरुणदेव और हिमांशु गुप्ता का नाम
अशोक जुनेजा के बाद वरिष्ठता में सबसे ऊपर पवनदेव हैं। वह 1992 बैच के अफसर हैं, इसलिए उनका नाम पहले नंबर पर आता हैं। कुछ विभागीय जांच की वजह उनका लिफाफा अभी बंद है। जांच खत्म होने के बाद उन्हें सीधे प्रमोशन मिलेगा। दूसरे नंबर पर IPS अरुणदेव गौतम हैं। 1993 बैच में कोई आईपीएस नहीं है। इसके बाद 1994 बैच के हिमांशु गुप्ता सबसे ऊपर हैं। अभी फिलहाल जुनेजा के बाद आईपीएस अरुणदेव और हिमांशु गुप्ता में से किसी को डीजीपी बनाया जा सकता है। अरुणदेव के नाम की चर्चा अधिक है।
ऐसे होता है पुलिस महानिदेशक का चयन
राज्यों के डीजीपी चयन की एक निर्धारित प्रक्रिया है। इसमें राज्य के साथ ही यूपीएससी और केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी भूमिका रहती है। राज्य सरकार द्वारा यूपीएससी को डीजीपी नियुक्ति के लिए नामों का पैनल भेजा जाता है। इसके बाद फिर यूपीएससी में मीटिंग होती है। इसमें यूपीएससी चेयरमैन खासतौर से मौजूद रहते हैं। किसी विषम परिस्थितियों से वे नहीं आ पाए तो उनके बदले में कोई सदस्य होता है। भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम का कोई नॉमिनी, मसलन ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल का कोई अफसर होता है। संबंधित राज्य के चीफ सेक्रेटरी और वर्तमान डीजीपी ये चारों मिलकर गुण-दोष के आधार पर पैनल तैयार करते हैं और यहीं से डीजीपी के नए नाम को हरी झंडी मिलती है।