शिमला। हिमाचल प्रदेश में बरसात रुकने के बाद भी भूस्खलन की घटनाएं थम नहीं रहीं। शिमला को किन्नौर से जोड़ने वाली नेशनल हाईवे-5 किन्नौर जिला के निगलसूरी में ध्वस्त हो गया। हाईवे का 200 मीटर हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया। हाईवे पर पहाड़ ऐसा गिरा कि पैदल रास्ता भी बंद हो गया है। गनीमत यह रही कि भूस्खलन के दौरान हाईवे पर कोई वाहन नहीं गुजर रहा था। हाईवे बंद होने से सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पाएगी। दो साल पहले इसी क्षेत्र में भूस्खलन से 28 लोगों की मौत हुई थी।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी और स्थानीय प्रशासन हाईवे की बहाली में लग गया है। हाईवे बंद होने से सेब को मंडियों तक पहुंचाने में दिक्कत आएगी। यह नेशनल हाईवे तिब्बत बॉर्डर तक जाता है। हाइवे के बंद होने से दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। ज्यादातर वाहनों में सेब से लदे ट्रक शामिल हैं। दरअसल किन्नौर का सेब अपनी मिठास और आकार के लिए बहुत पसंद किया जाता है। इस सेब की मंडियों में जबरदस्त मांग रहती है। किन्नौर के निचले इलाकों में सेब की फसल तैयार हो गई है। हाईवे बंद होने से बागवानों को सेब सड़ने का डर सता रहा है।
5 दिन बारिश को लेकर चेतावनी नहीं
हिमाचल प्रदेश में कहर बरपाने वाला मानसून पिछले कुछ दिनों से धीमा पड़ा है। मौसम विभाग ने अगले पांच दिन यानी 12 सितम्बर तक राज्य में भारी वर्षा की संभावना से इनकार किया है। इस अवधि में किसी तरह का कोई अलर्ट भी जारी नहीं किया गया है। 15 सितंबर से मानसून के फिर सक्रिय होने के आसार हैं। बीते 24 घंटों के दौरान राज्य में कहीं भी बारिश नहीं हुई। शुक्रवार को भी राज्य के अधिकांश हिस्सों में धूप निकली है। यानी बारिश से अभी राहत है।
दो साल पहले 28 लोगों की हुई थी मौत
बता दें कि पिछले दो दिनों से निगलसूरी में भूस्खलन हो रहा था। बुधवार को यहां हुए भूस्खलन से सेब लदे दो ट्रक दब गए थे। ट्रक सवारों ने भागकर जान बचाई थी। यह भी बता दें कि निगुलसरी में दो साल पहले 11 अगस्त 2021 को पहाड़ी से चट्टानें गिरने के कारण सवारियों से भरी एचआरटीसी बस, टिपर, टैक्सियों सहित करीब आधा दर्जन गाड़ियां भूस्खलन की चपेट में आई थीं और इस हादसे में 28 लोगों की मौत हो गई थी। कई दिनों तक यह सड़क बंद थीं।