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Friday, October 18, 2024

शराब और कोयला घोटाले में दो पूर्व मंत्री, IAS अफसर, विधायक, पूर्व MLA, पूर्व CS सहित 100 से अधिक लोगों पर ACB में FIR, पढ़िए पूरी डिटेल

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला और शराब घोटाला मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में दो पूर्व मंत्री, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित IAS, एक रिटायर्ड IAS, एक विधायक और प्रभावशाली कांग्रेस नेताओं सहित 100 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद किसी घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी की ओर से दर्ज कराई गई यह अब तक की सबसे बड़ी FIR है। इस एक्शन के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। इस एफआईआर के बाद आने वाले दिनों में कई सफेदपोश नेताओं और प्रशासनिक अफसरों को गिरफ्तार किए जाने चर्चाएं भी शुरू हो गई है।

एंटी करप्शन ब्यूरो में जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है, उनमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू, IAS समीर बिश्नोई, IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, पूर्व कांग्रेसी विधायक शिशुपाल सोरी, पूर्व विधायक चंद्रदेव राय, पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह, पूर्व विधायक यूडी मिंज, पूर्व विधायक गुलाब कमरो, भिलाईनगर विधायक देवेंद्र यादव, त्रिलोक सिंह ढिल्लो, रामप्रताप सिंह, विनोद तिवारी, संदीप कुमार नायक, विजय भाटिया का नाम भी शामिल है।

कोयला ट्रासपोर्टेशन में 25 रुपये प्रति टन लेवी
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में कोयला ट्रांसपोर्टेशन में 25 रुपये प्रतिटन लेवी वसूली और सिंडिकेट बनाकर शराब में अवैध उगाही के मामले का खुलासा किया था। कोयला घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर बिश्नोई, आईएएस रानू साहू, कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल, निखिल चंद्राकर को गिरफ्तार किया है। अभी सभी आरोपी जेल में बंद है। ईडी ने 540 करोड़ रुपये का अवैध कोल लेवी का खुलासा किया है। ईडी अभी भी मामले की जांच कर रही है।

शराब में 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ
शराब घोटाले को लेकर ED ने दावा किया है कि शराब घोटाले में 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। यह सिंडिकेट पूर्व सरकार के संरक्षण में 2019 में शुरू हुआ। यह भारी भ्रष्टाचार नौकरशाहों, राजनेताओं और उनके सहयोगियों की मिलीभगत से हुआ है। ईडी अभी दोनों मामले की जांच कर रही है। शराब की बिक्री पर छत्तीसगढ़ शासन को मिलने वाली ड्यूटी राशि का बड़ा हिस्सा राज्य में सरकार चला रहे नेताओं के पास भी जाता था। ईडी के मुताबिक एक सिंडिकेट बनाकर सफेदपोश नेताओं और अफसरों ने मिलकर राज्य शासन को मिलने वाले 2,161 करोड़ रुपये लूट लिए गए। नकली होलोग्राम से भारी भरकम राशि एकत्रित की गई और उसका बंटवारा किया गया।

डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर खपाई गई शराब
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह बात भी सामने आई थी कि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा राज्य में शराब का प्रबंधन और मॉनिटरिंग करती है। रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने प्रदेश के आठ सौ आउटलेट पर अपने लोगों को तैनात करवाकर इन लोगों की मदद से डुप्लीकेट होलोग्राम बनाया और उससे अवैध देशी और विदेशी शराब बेची गई। केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार अनवर ढेबर अपने लिए कमीशन का 15 प्रतिशत रखता था और बाकी सत्तासीन राजनेताओं को भिजवा देता था। छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। पीएम मोदी ने अपनी सभाओं में शराब, कोयला, गोबर, पीडीएस घोटालों को उठाया था।

राज्य में कैसे हुआ इतना बड़ा शराब घोटाला
शराब घोटाले में ईडी (ED) ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिये आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ। ED ने चार्जशीट में कहा कि साल 2017 में अच्छी मंशा से आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प एलटीडी (CSMCL) के जरिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के सरगना अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिये भ्रष्टाचार किया।

चार्जशीट में 3 लेयर पर भ्रष्टाचार का खुलासा
ईडी के मुताबिक 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। ED ने अपनी चार्जशीट में 3 स्तर का घोटाला बताते हुए इसे भाग A, B, C भाग में बांटा है। भाग A के तहत CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था, जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करते, किससे कितना कमीशन आया, उसे अनवर ढेबर को दिया जाता था।

CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब
भाग B के तहत अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे राज्य को सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान हुआ। भाग C में डिस्टिलर और ट्रांसपोर्टर से एनुअल कमीशन शामिल है। आपराधिक सिंडिकेट के जरिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है। शराब घोटाले मामले में ईडी ने सीबीआई जांच की मांग भी हाईकोर्ट में की थी।

हाईकोर्ट में ED ने CBI जांच की उठाई थी मांग
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला मामले में कार्रवाई करते हुए 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। होटल कारोबारी अनवर ढेबर, CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी, शराब कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित और अरविन्द सिंह को गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपी अभी जेल में बंद है। लोअर कोर्ट में ईडी के बनाए गए सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की हो चुकी है। अनवर ढेबर को मेडिकल ग्राउंड पर जमानत दी गई थी। शराब घोटाला केस में जमानत याचिका हाईकोर्ट पहुंचने पर ईडी ने हाईकोर्ट में इस प्रकरण को सीबीआई को सौंपने की बात भी कही थी।

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