बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज की गई FIR को निरस्त करने अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर आदि की ओर से पेश क्रिमिनल मिस्लेनियस पिटीशन पर बुधवार को सुनवाई हुई। मामले में लंबी बहस के बाद चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। ईडी ने 2161 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर किया है। इसमें नकली होलोग्राम बनाकर पूरा खेल खेला गया था।
बता दें कि शराब घोटाले को लेकर एसीबी और ईडी ने अनिल टुटेजा, यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। सभी आरोपी पहले से ही रायपुर सेंट्रल जेल में हैं। अपने खिलाफ किये गए नए एफआईआर को निरस्त करने की मांग लेकर आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। मामले में बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन में सुबह से बहस शुरू हुई।
लिकर स्कैम केस में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि एक बार सुप्रीम कोर्ट ने जब एफआईआर क्वेश कर दी थी, तब पुराने तथ्यों और आधारों पर ही फिर एफआईआर दर्ज करना वैधानिक नहीं है। मामले में नए सिरे से जांच किए जाने के बाद ही यह कार्रवाई हो सकती थी। मामले में सभी पक्षों के तर्कों और बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि शराब घोटाला केस में ईडी के प्रतिवेदन पर एसीबी ने नए सिरे से एफआईआर दर्ज की है।