रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में पटवारियों के बाद अब तहसीलदार और नायब तहसीलदार भी हड़ताल पर जा रहे हैं। मंगलवार को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया है। महासमुंद जिले के झलप में नायब तहसीलदार युवराज साहू से मारपीट के बाद तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने यह फैसला लिया है। घटना के विरोध में 10 से 12 जुलाई तक हड़ताल का ऐलान किया गया है। कनिष्क प्रशासनिक संघ के बैनर तले मंत्री को ज्ञापन सौंपकर कार्यालय में सुरक्षा देने समेत 7 सूत्रीय मांगें रखी है। मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
तहसीलदारों का कहना है कि पूर्व में ही तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों ने न्यायालय में सुरक्षा संबंधी मांग सरकार से की थी। पूर्व सरकार ने न्यायालय में सुरक्षा के लिए सभी कलेक्टरों को पत्र भी जारी किए थे, लेकिन आज तक फील्ड में उसका कोई असर नहीं दिखा है। इसके कारण आज भी न्यायालय में बैठे तहसीलदार और नायब तहसीलदारों पर असामाजिक तत्वों द्वारा हमले, मारपीट, गालीगलौज आदि की खबरें आती रहती है। ऐसी स्थिति में नायब तहसीलदार, तहसीलदारों का न्यायालय में बैठकर काम करना मुश्किल है। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री ने नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित किया था, लेकिन आज तक इस संबंध में कोई भी पत्र सर्कुलर जारी नहीं किया गया है।
तहसीलदार की मांगों पर अब तक विचार नहीं
ज्ञापन में बताया गया है कि तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर प्रमोशन में 50-50 का अनुपात लागू करने की घोषणा की गई थी, वह भी अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। एएसएलआर-एसएलआर को पर्याप्त संख्या में नायब तहसीलदार, तहसीलदार होने के बावजूद तहसीलदार का प्रभार दिया जाता है, जिसका भी संघ ने विरोध जताया था। सभी कलेक्टरों को मंत्रालय से पत्र भी जारी किया गया था। एसएलआर को नायब तहसीलदार, तहसीलदार ना बनाने के संबंध में निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन आज तक किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है।
प्रशासन के महत्वपूर्ण अंग होते हैं तहसीलदार
बता दें कि नायब तहसीलदार, तहसीलदार प्रशासन के महत्वपूर्ण अंग हैं। जमीन विवादों का निपटारा हो या तहसील जिले में कानून व्यवस्था को लागू करना हो, यह सब काम नायब तहसीलदार और तहसीलदारों द्वारा ही किया जाता है। प्रोटोकॉल से लेकर आवश्यक व्यवस्थाओं, जनता और प्रशासन के बीच समन्वय का कार्य भी तहसीलदार के द्वारा ही किया जाता है। विभिन्न विभागों के कार्यालय का निरीक्षण तथा कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में विभिन्न विभागों के योजनाओं की जांच और निरीक्षण भी तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों के माध्यम से किया जाता है, लेकिन वेतन विसंगति और राजपत्रित अधिकारी घोषित नहीं होने के कारण बहुत से विभाग अब उनकी बातों को अनसुना भी करते हैं।