दिल्ली. एजेंसी। लोकसभा चुनावों के जो परिणाम और रुझान अब तक सामने आए हैं, उससे साफ है कि कोई भी अकेला दल सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें हासिल करने की स्थिति में नहीं है। सत्तारुढ़ बीजेपी 240 सीटों के आंकड़े के आसपास है। एनडीए का आंकड़ा 292 है, लेकिन इसमें 50 से ज्यादा सीटें उन दलों की हैं जो बीजेपी की सहयोगी पार्टियां हैं। ऐसे में सबकी नजर एनडीए के उन दो दलों पर है, जो अब नई सरकार बनाने में किंग मेकर की भूमिका निभाएंगे। ये दोनों दल हैं तेलुगुदेशम और जेडीयू…। चंद्रबाबू नायडू अगर एनडीए से अलग होते हैं तो फिर बीजेपी के लिए सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में देखना है कि नायडू और नीतीश कुमार क्या सियासी गुल खिलाते हैं?
ताजा चुनावी रुझानों के अनुसार चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी आंध्र प्रदेश में बड़ी ताकत के तौर पर उभरी है। वह विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करके राज्य में सरकार बनाने जा रही है तो लोकसभा की 16 सीटों पर जीत चुकी है। कुछ ऐसा ही बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू का है, जो लोकसभा चुनावों में 12 सीटों पर जीत की स्थिति में है। नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पहले ही आरजेडी से पल्ला झाड़कर बिहार में बीजेपी से गलबहियां की थी। इन दोनों पार्टियों के 30 सीटों पर जीत हासिल की है। ये दोनों पार्टियां केंद्र में किसी भी सरकार के गठन में किंगमेकर बन सकती हैं।
अगले कुछ दिन इन पार्टियों पर रहेगी नजर
चुनाव परिणामों के बीच यह सियासी चर्चा शुरू हो गई है कि कांग्रेस अब जेडीयू और तेलुगुदेशम से बातचीत कर सकती है। जाहिर है कि ये दोनों ही पार्टियां ऐसी हैं कि अपने सियासी फायदे नुकसान के लिए किसी के साथ भी जा सकती हैं। अगर वो मोदी और बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और इंडिया के साथ चली जाएं तो हैरान नहीं होना चाहिए और अगर वो एनडीए में रुके भी रहे तो उसकी कीमत बहुत ज्यादा होगी। इससे पहले बिहार की जेडीयू कई बार गठबंधन बदल चुकी है। दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले एनडीए से गठबंधन किया था और उसका फायदा भी मिला।