रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की पदोन्नति के बाद पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होते ही शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया। प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ। काफी बवाल मचने के बाद कुछ अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया। सभी पोस्टिंग रद्द कर नए सिरे से लिस्ट जारी करने और दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा विभाग में पोस्टिंग घोटाले का भांडा फूटते ही उठा सियासी बवाल अब धीरे-धीरे शांत होता भी जा रहा है। शांत होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने वालों के चेहरे से नकाब कब उतरेगा, मास्टर माइंड कौन है? दोषियों को सलाखों के पीछे कब भेजा जाएगा यह भी बड़ा सवाल है?
दरअसल, शिक्षकों की पदोन्नति के बाद पोस्टिंग में अवैध उगाही का खेल कोई एक-दो या दस लोग मिलकर नहीं खेल सकते, बल्कि इसके पीछे पूरा सिंडिकेट या एक पूरा रैकेट है। कुछ अफसरों पर कार्रवाई कर जिम्मेदार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, लेकिन सच्चाई तो यही है कि यह तो मोहरा मात्र है। असली खेल खेलने वाले खिलाड़ियों का चेहरा अभी सामने नहीं आया है। पोस्टिंग घोटाला उजागर होने के बाद रायपुर संभाग में संयुक्त संचालक सहित लगभग 10 अधिकारी, बिलासपुर संभाग में संयुक्त संचालक सहित 3 का निलंबन, सरगुज़ा संभाग में संयुक्त संचालक और दुर्ग संभाग में संयुक्त संचालक का निलंबन किया गया। क्या बस्तर में पूरी पोस्टिंग नियम-कानून के तहत हुई है? इस पर कार्रवाई कब तक होगी अभी कोई अफसर भी नहीं बता पा रहे हैं।
हर संभाग में 25 से 30 लोगों की संलिप्तता
आपको बता दें कि पूरे प्रदेश में 4000 से ज्यादा शिक्षकों के प्रमोशन में संशोधन हुआ था। पोस्टिंग घोटाला सामने आने के बाद अब उस संशोधन को निरस्त करने का आदेश शिक्षा मंत्री ने दिया है। 4 हजार में से आधे लोगों की पोस्टिंग के लिए सेटिंग हुई होगी तो क्या यह 15 लोग ही पूरा मामला मैनेज कर रहे थे। ऐसा बिल्कुल भी संभव ही नहीं है। सच्चाई तो यही है कि ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर इस भ्रष्टाचार की पूरी पटकथा लिखी गई। हर संभाग में 25 से 30 अधिकारी, बाबू और शिक्षक की संलिप्तता से पूरे भ्रष्टाचार में होने से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं इस पूरे मामले में शिक्षक भी दोषी हैं, जिन्होंने घूस देकर मनचाहा जगहों पर पोस्टिंग ली है। अगर रिश्वत लेना अपराध है तो घूस देना भी बड़ा क्राइम है। ऐसे शिक्षकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
शिक्षा मंत्री चौबे तक पहुंच रही थी शिकायत
आपको बता दें कि शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे के पास आई शिकायत के आधार पर सभी संभागों में प्रमोशन में पोस्टिंग के संशोधन के नाम पर गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। शिक्षा मंत्री ने सभी संभागों में कमिश्नर को इस मामले में जांच के आदेश दिये। बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और सरगुजा के संयुक्त संचालक के खिलाफ मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सस्पेंड करने का आदेश दिया गया। प्रदेश में 4000 से ज्यादा शिक्षकों के प्रमोशन में संशोधन हुआ था। अब उन संशोधन को निरस्त करने का आदेश शिक्षा मंत्री ने दिया है। घोटाला उजागर होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई को लेकर प्रमुख सचिव, सचिव व अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में बैठक भी हुई थी, लेकिन अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं है। फिलहाल, मंत्री रविंद्र चौबे ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई एवं संशोधन सूची को निरस्त करने नोट शीट में हस्ताक्षर कर समन्वय समिति को भेज दिया है।
पदोन्नति-पोस्टिंग में ऐसा रचा गया षड्यंत्र
राज्य शासन के आदेश पर पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक ने सभी जिलों के डीईओ से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई, जिसके बाद शहर के साथ ही जिला और ब्लॉक मुख्यालय के आसपास के स्कूलों में रिक्त पदों को छिपा दिया गया। इसके बाद दिखावे के लिए काउंसिलिंग किया गया। फिर कुछ ही दिन में छिपाए गए पदों पर संशोधन के नाम पर लेन-देन कर पोस्टिंग आदेश जारी किया गया। सूत्रों के मुताबिक पदोन्नति के बाद मनपसंद जगह पर पोस्टिंग के लिए हर एक शिक्षक से एक से दो लाख रुपये लेने की बातें सामने आ रही है। इस पूरे घोटाले की न्यायिक या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच होती है तो इसमें और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने की बातें भी चर्चा में हैं।
पोस्टिंग घोटाले की न्यायिक जांच होः चौधरी
घोटाला उजागर होने के बाद पूर्व आईएएस व छत्तीसगढ़ भाजपा के भाजपा प्रदेश महामंत्री चौधरी ने रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर यहां तक कहा था कि शिक्षा जगत में माफियाराज आ गया है। पदोन्नति के बाद पोस्टिंग में बड़ा खेल किया गया। कांग्रेस राज में पूरी तरह से सेटिंग का काम चल रहा है। शराब, कोल के बाद अब शिक्षा सेक्टर से पैसा जमाकर ऊपर तक पहुंचाया जा रहा है। केवल कुछ अफसरों को माफिया राज का एक मोहरा बनाया गया है। ऐसा घोटाला बगैर संरक्षण के संभव ही नहीं है। ओपी चौधरी ने कहा कि कांग्रेसी नेताओं के समर्थन से चल रहे शिक्षक तबादला घोटाले में जिस प्रकार की खबरें जनता के बीच आई हैं, यह कांग्रेस की भ्रष्टाचारी मानसिकता का पुख्ता प्रमाण है। लाखों रुपये का लेन-देन हर शिक्षक से किया गया। इस घोटाले के पीछे किसका हाथ है? इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।