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Sunday, November 17, 2024

महाकाल में एक दिन के लिए खुला श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर, आधी रात को हुआ त्रिकाल पूजन, यहां सर्प दोष से मिलती है मुक्ति

उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में एक बार 24 घंटे के लिए भक्तों के दर्शनार्थ खोला गया है। इस बार नागपंचमी पर सावन सोमवार होने के कारण मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था की है। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक 10 लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान है। सुरक्षा की दृष्टि से 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है।

इस मंदिर की मान्यता है कि भगवान शिव ने नागदेव तक्षक को अमरता का वरदान दिया था। नागपंचमी पर देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते है और दर्शन लाभ लेते हैं। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है की नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। लिहाजा बड़ी संख्या में श्रद्धालु का एक दिन पहले ही उज्जैन पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार रात 12 बजे निर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गुरु जी महाराज ने द्वार पर पूजा अर्चना कर मंदिर के पट खोले दिए, जिसके बाद श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया है।

इस तरह की मूर्ति दुनिया में कहीं नहीं
उज्जैन में नागचंद्रेश्वर का मंदिर प्राचीन है। परमार कालीन राजा भोज ने 1050 ईसवी में मंदिर का निर्माण कराया था। इसके बाद 1732 में सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। इस मंदिर में 11 शताब्दी की मूर्ति स्थापित है, जिसमें नागदेव के फन पर भगवान शिव, मां पार्वती और विघ्नहर्ता गणेश विराजमान हैं। यह मूर्ति नेपाल से मंगवाई गई थी। संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिवजी नाग शैय्या पर विराजित हैं। मंदिर में शिवजी, मां पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ ही सप्तमुखी नाग देव हैं। दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित हैं।

साल में एक बार खुलता है मंदिर का पट
बताया जाता है कि सांपों के राजा तक्षक ने शिव भगवान की कठोर तपस्या कर यह अमरत्व रहने का वरदान मांगा था। उसके बाद तक्षक भगवान के आसपास ही रहते थे, लेकिन महाकाल के वन में रहने के दौरान उन्होंने कहा कि उनके एकांतवास में किसी प्रकार का खलल न पड़े इसलिए उन्हें एकांतवास में रहने चले गए। ऐसा माना जाता है कि नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर रूप में भगवान दर्शन देते हैं और भक्तों को सर्प दोष से मुक्त करते हैं।

निर्वाणी अखाड़े के महंत खोलते हैं पट
निर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गुरुजी ने बताया कि यह परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही है। मध्य रात्रि में भगवान नागचंद्रेश्वर के पट खोले जाते हैं। इस परंपरा के अनुसार त्रिकाल पूजा की जाती है जो मध्य रात्रि 12 बजे होती है। सोमवार दिन में 12:00 बजे शासकीय पूजन होगा और रात 12 बजे पट बंद होने के पूर्व नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि जिससे कुंडली में सर्प दोष होता है वह दर्शन करने मात्र से दूर हो जाता है। विश्वभर में यह एकमात्र मंदिर है, जहां सर्पश्या पर शिव परिवार स्थापित है। सालभर श्रद्धालु इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं।

10 लाख श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान
उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि दर्शन के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। नागचंद्रेश्वर के लिए कर्क राज से सामान्य श्रद्धालु दर्शन को आ रहे हैं। वहीं वीआईपी के लिए अलग से व्यवस्था की है। मंदिर के बाहर पहुंचने पर एक ही लाइन से जाकर नागचंद्रेश्वर का दर्शन कर सकते हैं। महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद भारी संख्या में भीड़ पहुंच रही है। मंदिर का पट खुलने के पहले भीड़ रुकी हुई थी, अब दर्शन प्रारंभ हो गए है। एक घंटे में दर्शन हो रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक 10 लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान लगाया है। पार्किंग व्यवस्था, जूता स्टैंड की भी अलग-अलग व्यवस्था की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

नागचंद्रेश्वर मंदिर के लिए यहां से करें प्रवेश
भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालु भील समाज धर्मशाला से प्रवेश कर करेंगे। यहां से गंगा गार्डन के पास चारधाम मंदिर, पार्किंग स्थल जिगजैग, हरसिद्धि चौराहा, रूद्रसागर के पास, बड़ा गणेश मंदिर, गेट नंबर 4 या 5, विश्राम धाम, एरोब्रिज से होकर भगवान नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन किए जा सकेंगे। भक्त एरोब्रिज के द्वितीय ओर से रैंप, मार्बल गलियारा, नवनिर्मित मार्ग, प्रीपेड बूथ चौराहा पहुंचेंगे। यहां से द्वार नंबर 4 या 5 के सामने से बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि चौराहा, नृसिंह घाट तिराहा होते हुए दोबारा भील समाज धर्मशाला पहुंचेंगे।

बाबा का नागचंद्रेश्वर के रूप में विशेष श्रृंगार​​​​​​​
आज सावन महीने का सातवां सोमवार है। नागपंचमी और सोमवार का संयोग बना है। महाकाल के दर्शन के लिए रात 12 बजे से श्रद्धालु लाइन में लगना शुरू हो गए थे। रात 2.30 बजे भस्म आरती के लिए मंदिर के पट खोले गए। भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर भस्म रमाई गई। पट खुलने के बाबा महाकाल को पंडे- पुजारियों ने नियमानुसार जल चढ़ाकर दूध, घी, शहद, शक्कर व दही से पंचामृत अभिषेक किया। इसके बाद बाबा का भांग, सूखे मेवों से श्रृंगार कर भस्म चढ़ाई। बाबा का भांग, चंदन, फल, वस्त्र आभूषण से नागचंद्रेश्वर के रूप में विशेष श्रृंगार किया गया।

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