नई दिल्ली. एजेंसी। छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (Prevention of Money Laundering) कानून पर चिंता जताई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर सवाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह दहेज प्रताड़ना कानून (498 ए) का दुरुपयोग हुआ, वैसा ही अब पीएमएलए में हो रहा है। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी की जमानत याचिका की फैसला करते हुए यह तल्ख टिप्पणी की है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूर्व आईएएस अधिकारी एपी त्रिपाठी को जमानत देते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (पीएमएलए) का उपयोग किसी को हमेशा जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि जिस तरह दहेज प्रताड़ना कानून (498ए) का अतीत में दुरुपयोग हुआ है, अब ठीक उसी तरह अब पीएमएलए कानून का भी दुरुपयोग हो रहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में सेशन कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के फैसले को रद्द कर दिया था, तो फिर एपी त्रिपाठी को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
जानें क्या है पीएमएलए कानून
बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (पीएमएलए) के तहत आरोपियों की जमानत मुश्किल हो जाती है। पीएमएलए कानून में ‘ट्विन कंडीशन’ लागू होती है। इसका मतलब यह है कि आरोपी को तब तक जमानत नहीं दी जा सकती जब तक यह साबित न हो जाए कि उसने अपराध नहीं किया और वह आगे किसी अपराध में शामिल नहीं होगा। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कि पीएमएलए का इस्तेमाल राजनीतिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए किया जाने लगा है, जो न्याय प्रक्रिया के लिए सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी को केवल कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा लेकर अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता।