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Thursday, November 21, 2024

‘स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या कागजों में ही सब कुछ’, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बोले- 1837 करोड़ खर्च होने के बाद भी स्कूल जर्जर क्यों…

बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने मुख्यमंत्री जतन योजना के फंड के उपयोग पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत जारी किए गए 1,837 करोड़ रुपये के फंड का वास्तव में उपयोग हो रहा है या नहीं। स्कूल की स्थिति सुधर रही है या कागजों में ही सब-कुछ सही है। जर्जर स्कूल भवनों को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन और स्कूल शिक्षा सचिव से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। डिवीजन बेंच ने प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ पूरी जानकारी 21 अगस्त से पहले देने का आदेश दिया है।

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि मुख्यमंत्री शाला जतन योजना के तहत शिक्षा सत्र 2023 में 1837 करोड़ रुपये शासकीय स्कूलों के मरम्मत और रखरखाव के लिए जारी किया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी तो चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पूछा कि फंड का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है। इतना खर्च होने के बाद ही स्कूल जर्जर होने या हादसे की खबरें आखिर क्यों आ रही है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन और स्कूल शिक्षा सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब देने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने मीडिया की खबरों पर लिया संज्ञान
बता दें कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में से अनेक स्थानों पर भवन जर्जर हो चुके हैं। बरसात के समय इनकी हालत और भी खराब हो जाती है। हाल के दिनों में एक सरकारी स्कूल में बाथरूम का छज्जा गिर गया था। मस्तूरी ब्लॉक के एक स्कूल में मध्यान्ह भोजन एक बच्चा घायल हो गया था। जर्जर स्कूलों की मरम्मत में गुणवत्ता से समझौता की बातें भी लगातार सामने आ रही है। मीडिया में खबरें आने के बाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका स्वीकार कर सुनवाई शुरू की है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।

प्रमुख सचिव और शिक्षा सचिव करें मॉनिटरिंग
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने डीविजन बेंच को बताया कि स्कूलों की मरम्मत के लिए कलेक्टर डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (DMF) से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं। डिवीजन बेंच ने कहा कि एक कलेक्टर कहां- कहां जाएंगे। फंड के उपयोग को लेकर विभाग के प्रमुख और शिक्षा सचिव को मॉनिटरिंग करना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि सरकार द्वारा जारी बजट का सदुपयोग हो रहा है या नहीं। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता है कि नहीं। काम में सिर्फ खानापूर्ति तो नहीं की जा रही। हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि पूर्व के निर्देश पर कितना अमल हो पाया है इसका भी उल्लेख जवाब में करें।

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