रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया है। साय मंत्रिमंडल में पांच नए और डॉ.रमन कैबिनेट के चार पूर्व मंत्रियों पर दांव खेला है। सबसे अधिक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) वर्ग से पांच विधायकों को मंत्री पद देने का निर्णय लिया गया है, जो कि पहली बार मंत्री बनेंगे। राजभवन में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने 9 मंत्रियों को शपथ दिलाई। मंत्री बनने वालों में बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप, राम विचार नेताम, दयाल दास बघेल, टंकराम वर्मा, ओपी चौधरी, लखन लाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल, लक्ष्मी राजवाड़े शामिल हैं। आइए जानते हैं सभी मंत्रियों का राजनीतिक करियर…
- बृजमोहन अग्रवाल
- रायपुर दक्षिण से विधायक बृजमोहन अग्रवाल आठवीं बार के विधायक हैं। वह अविभाजित मध्यप्रदेश में पटवा सरकार में मंत्री रहे, इसके बाद रमन सरकार के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को 67,919 मतों के अंतर से हराया। बृजमोहन अग्रवाल का जन्म एक मई 1959 को रायपुर में हुआ था। कामर्स व आर्ट्स दोनों विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने एलएलबी की डिग्री भी ली है। मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। अग्रवाल ने मात्र 16 साल की उम्र में ही 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ले ली थी। 1990 में वे पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक चुनकर आए थे।
- रामविचार नेताम
- भाजपा के कद्दावर नेता रामविचार नेताम छठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए है। बलरामपुर के ग्राम सनावल निवासी रामविचार नेताम राज्यसभा के सदस्य और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके है। इस बार फिर पार्टी ने रामानुजगंज विधानसभा सीट पर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा था। उन्होंने कांग्रेस के डा. अजय तिर्की को पराजित किया है। नेताम वर्ष 1990 से लगातार छठवीं बार विधायक हैं। वर्ष 2000 से 2002 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य, वर्ष 2000 से 2003 तक भाजपा अविभाजित जिला सरगुजा के अध्यक्ष रहे। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में सरगुजा के आठ विधानसभा में से सात सीट जीतकर भाजपा ने 2003 में शानदार प्रदर्शन किया। 2003 से 2005 तक आदिम जाति कल्याण एवं राजस्व मंत्री, 2005 से 2008 तक गृह, जेल एवं सहकारिता मंत्री, 2008 से 2012 तक पंचायत एवं ग्रामीण विकास, विधि विधायी मंत्री, 2012 से 2013 तक जल संसाधन, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री का पद संभाला।
- केदार कश्यप
- केदार कश्यप ग्राम पोस्ट फरसागुड़ा, भानपुरी जिला बस्तर छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। केदार कश्यप सन 2000 में सदस्य प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा रहे। वह भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। जिला बस्तर के बस्तर ब्लाक में जनपद सदस्य भी रहे। 2003 में केदार कश्यप पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। 2008 में दूसरी एवं 2013 में तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। पहली बार विधायक निर्वाचित होने के साथ ही वे राज्य मंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के स्वतंत्र प्रभार में रहे। 2008 में विधायक निर्वाचित होने के बाद आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री रहे। 2013 में कांग्रेस के प्रत्याशी चंदन कश्यप को केदार कश्यप ने नारायणपुर विधानसभा से हराया। केदार कश्यप को भाजपा ने 54,874 वोट मिले थे। जबकि चंदन कश्यप को 42,074 वोट मिले थे।
- दयालदास बघेल
- भाजपा ने 2023 में दयाल दास बघेल को नवागढ़ से टिकट देकर छठी बार उनपर विश्वास जताया। पूर्व मंत्री दयालदास ने भी पार्टी के इस भरोसे को कायम रखा और कांग्रेस के दिग्गज मंत्री रहे रूद्र कुमार गुरु को पटखनी देकर ना सिर्फ नवागढ़ जीता बल्कि एक बार फिर मंत्री बनने में कामयाबी पाई। दयालदास बघेल फिलहाल अनुसूचित जाति वर्ग एकमात्र मंत्री है। जाहिर है प्रदेश में भाजपा अजा वर्ग का भी वही प्रतिनिधित्व करेंगे। दयालदास बघेल पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह की सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे। वे बेमेतरा जिले के नवागढ़ ब्लॉक के कुरा गाँव के निवासी है। बघेल ने अपने सियासत की शुरुआत गाँव के सरपंच बनकर की थी। वही इस कामयाबी के बाद उनहोनेकाब्धि पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2003 में दयाल दास बघेल पहली बार विधायक चुनकर विधानसभा भेजे गए। इसके बाद 2008 एवं 2013 में दूसरी और तीसरी बार बने।
- ओपी चौधरी
- ओपी चौधरी की गिनती तेज-तर्रार अफसरों में होती रही है। 2005 बैच के अधिकारी ओपी चौधरी केवल 22 साल में आइएएस बने और 36 साल की उम्र में नौकरी छोड़ी। 2018 में जब ओपी ने नौकरी छोड़ी, तब वह डा.रमन सिंह की सरकार में रायपुर में कलेक्टर थे। भाजपा में प्रवेश कर वह साल 2018 में खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। दो जून 1981 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे ओपी के पिता दीनानाथ चौधरी एक शिक्षक थे। जब ओपी दूसरी कक्षा में पढ़ रहे थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था। उन्होंने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा अपने पैतृक गांव बयांग से ही पूरी की। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से गणित, भौतिकी और इलेक्ट्रानिक्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में उनका चयन हुआ था।
- लक्ष्मी राजवाड़े
- सरगुजा संभाग और सूरजपुर जिले के भटगांव विधानसभा क्षेत्र से लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार विधायक निर्वाचित हुई हैं। वह अब मंत्री बनने वाली हैं। सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम वीरपुर की लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार जनपद सदस्य के पद पर निर्वाचित हुई थी। पिछले पंचायत चुनाव में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जीता था। वर्तमान में जिला पंचायत सूरजपुर के सदस्य के अलावा वे भाजपा महिला मोर्चा सूरजपुर की जिला अध्यक्ष भी है। भाजपा संगठन में आरंभ से ही सक्रिय लक्ष्मी राजवाड़े ने अपने पहले ही चुनाव में कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े को 43 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है। पारसनाथ राजवाड़े दो बार के विधायक थे। लक्ष्मी राजवाड़े को संगठन में सक्रियता का लाभ मिला था।
- टंकराम वर्मा
- मंत्री बनने वाले टंकराम वर्मा शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए। भाजपा विधायक टंकराम वर्मा ने एलएलबी किया है। वे सबसे पहले तिल्दा से जिला पंचायत सदस्य चुने गए, फिर रायपुर जिला पंचायत में उपाध्यक्ष बने। टंकराम वर्मा पिछले 30 वर्षों से सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं। विधायक बनने से पहले वे बलौदा बाजार जिला ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष थे। क्षेत्र में रामायण व भागवत कथा करवाने के नाम से टंकराम वर्मा को ख्याति मिली हुई है। कुर्मी समाज से आने वाले टंकराम वर्मा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश नितिन त्रिवेदी को 14 हजार से अधिक मतों से हराया था। बतौर सरकारी शिक्षक के रूप में प्रतिनियुक्ति पर वे पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद व वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के निज सहायक (पीए) रहे, एक दशक से ज्यादा समय तक टंकराम वर्मा उनके पीए के रूप में कार्यरत रहे। इसके बाद उन्होंने पूर्व मंत्री केदार कश्यप के यहां पीए के तौर पर सेवाएं दीं। आज उन्हीं के साथ शपथ ली।
- लखनलाल देवांगन
- कोरबा विधानसभा से लखन लाल देवांगन ने तीन बार के विधायक व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को 26000 से भी अधिक मतों से चुनाव हराया है। ओबीसी वर्ग से आने वाले लखन लाल देवांगन पूर्व में कोरबा निगम के महापौर व पड़ोसी कटघोरा विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। लखनलाल देवांगन का जन्म 12 अप्रैल 1962 को कोरबा में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय तुलसी राम देवांगन है। लखन लाल देवांगन ने बीए प्रथम वर्ष तक की शिक्षा ग्रहण की है। वे नया कोहड़िया चारपारा के रहने वाले हैं। उनका विवाह 15 अक्टूबर 1982 को रामकुमारी देवांगन के साथ हुआ था। उनकी पत्नी की जन्म तिथि 22 फरवरी 1964 है। लखन लाल देवांगन के एक पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले लखनलाल देवांगन के पिता स्वर्गीय तुलसीराम देवांगन सामान्य किसान थे। वे टेलरिंग के अलावा फुटपाथ पर कपड़े की दुकान चलाते थे। वर्तमान में उनका पेशा कृषि है।
- श्याम बिहारी जासवाल
- छत्तीसगढ़ की मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक श्याम बिहारी जायसवाल को मुख्यमंत्री विष्णुदेव के कैबिनेट में शामिल किया गया है। शुक्रवार 22 दिसंबर को वह 8 अन्य विधायकों के साथ मंत्री पद की शपथ लेंगे। मनेंद्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर जिले की मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर श्याम बिहारी जायसवाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी रमेश सिंह को 11880 वोटों से चुनाव हराया था। श्याम बिहारी जायसवाल दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले वह 2013 में पहली बार मनेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। 2014-15 में वह विधानसभा की सदस्य सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य रहे थे।