रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद एक्जिट पोल भी आ गए। मतगणना की तैयारियों के साथ नई सरकार के गठन की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। इस बीच प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के 24 विधायक पेंशनर बन गए हैं। पूर्व एमएलए होने जा रहे विधायकों की टिकट पार्टियों ने काट दी, इसलिए माननीय अब वेतन और भत्तों की जगह अब पेंशन पर आश्रित होने जा रहे हैं। आखिर क्या होगा इन 24 विधायकों का भविष्य…। अब कैसी होगी पार्टी में इनकी उपयोगिता…।
छत्तीसगढ़ में मिशन-2023 के महामुकाबले के लिए कांग्रेस ने अपने मौजूदा 22 विधायकों को मैदान से बाहर कर दिया, जबकि भाजपा ने 13 में से 2 विधायकों को घर बैठा दिया। इस तरह 90 में से कुल 24 विधायक जनता की अदालत में जाने से पहले पार्टियों का भरोसा जीतने में ही विफल रहे। अब इनमें से कई विधायकों ने पेंशन प्रकरण के लिए विधानसभा में आवेदन करना शुरू कर दिया है। विधानसभा की नियमावली के मुताबिक विधानसभा का कार्यकाल 6 दिसंबर को खत्म होते ही इन विधायकों को वेतन, भत्ते, सुरक्षा और आवास की सुविधाएं मिलना बंद हो जाएगा। इसके बाद उन्हें नियमानुसार पेंशन की ही पात्रता रहेगी।
सियासी अज्ञातवास काटना ही विकल्प
निवृत्तमान होने जा रहे माननीयों ने वेतन-भत्ते बंद होने के पहले ही पेंशन के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया है। अब इन विधायकों की सियासी भूमिकाओं को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर टिकट से वंचित किए गए विधायकों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा। इस पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई है। इसे लेकर सियासी दलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया भी सामने आ आई है। अब, यह देखना जरूर दिलचस्प होगा कि पार्टियां टिकट काटने के बाद इन विधायकों का कितना उपयोग करेगी और पेंशनर बने पूर्व विधायकों का सियासी भविष्य क्या होगा?
क्या संगठन में मिलेगी नई जिम्मेदारी?
विधानसभा चुनाव में 22 विधायकों की टिकट काटने वाली कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी में हर किसी की भूमिकाएं बदलती रहती है। कुछ कार्यकर्ताओं को पार्टी ने विधायक बनने का अवसर दिया। अब पूर्व विधायक भी अलग भूमिकाओं में नजर आएंगे। वहीं भाजपा के नेता भी पूर्व विधायकों को संगठन का कामकाज देने की बात कह रहे हैं। वहीं राजनीतिक जानकार पूर्व विधायकों के पास पेंशन लेने और सियासी अज्ञातवास काटने का ही विकल्प बता रहे हैं।