23.1 C
Raipur
Monday, December 2, 2024

स्कूली बच्चों का पैसा खाने वाले 4 आरोपियों को ED ने दबोचा, CBI ने दर्ज किया था केस, 250 करोड़ का हुआ था घोटाला

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सामने आए 250 करोड़ के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश से 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी को कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया गया है। आरोपियों में राजदीप जोसन, कृष्ण कुमार, हितेश गांधी और अरविंद राजटा शामिल हैं। तीन लोग निजी शिक्षण संस्थान के प्रबंधक और एक शिक्षा विभाग का अधिकारी है। ED प्रवक्ता ने आज मामले की जानकारी दी।

बता दें कि कि ईडी ने दो दिन पहले शिमला और मंडी जिलों में छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने नकदी और कई आपत्तिजनक दस्तावेज व डिजिटल उपकरण भी जब्त किए थे। ईडी ने गुरुवार को देर शाम आरोपियों को गिरफ्त में लिया था। करोड़ों के इस घोटाले में ईडी ने सीबीआई शिमला द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि राज्य शिक्षा विभाग, निजी संस्थान और बैंक अधिकारी 200 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति निधि के वितरण में बड़े पैमाने भ्रष्टाचार किया गया है।

स्कूलों के खातों में ट्रांसफर हुए रुपये
ईडी की जांच से पता चला कि राजदीप जोसन और कृष्ण कुमार ने सोसाइटी के माध्यम से फर्जी दस्तावेज पेश करके एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक योजना के तहत छात्रवृत्ति का दावा किया। हितेश गांधी के निजी शिक्षण संस्थान ने भी छात्रवृत्ति के लिए फर्जी दावे किए, जिन्हें शिक्षा विभाग के अधिकारी अरविंद राजटा ने सत्यापित किया। हितेश गांधी ने छात्रों के बैंक खाते में वितरित छात्रवृत्ति को निजी शिक्षण संस्थान के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिया।

2012 में घोटाला, 2018 में खुलासा
यह घोटाला 2012-13 में शुरू हुआ जब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रों के लिए 36 योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया गया था। इस घोटाले का खुलासा वर्ष 2018 में तब हुआ, जब लाहौल और स्पीति जिले में आदिवासी स्पीति घाटी के सरकारी स्कूलों के छात्रों को पिछले 5 वर्षों से कोई छात्रवृत्ति नहीं दी गई थी। इसके बाद पूरे मामले की जांच कराई गई।

CBI ने 2019 में दर्ज किया था केस
जांच में पता चला था कि झूठी संबद्धता दिखाने के लिए नकली लेटरहेड का इस्तेमाल कुछ संस्थानों द्वारा शिक्षा विभाग को गुमराह करने के लिए किया गया था, जो बुनियादी ढांचे और छात्रों की ताकत का भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने में विफल रहा। इस सिलसिले में सीबीआई ने 8 मई 2019 को आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए आईपीसी की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 के तहत मामला दर्ज किया था।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here