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Tuesday, December 3, 2024

भगवान श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से अयोध्या जाएगा 300 मैट्रिक टन चावल, क्या होगा उपयोग आप भी जानिए…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
राम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। मंदिर के उद्घाटन, रामलला के अभिषेक और प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर है। मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 की तारीख सुनिश्चित की गई है। अयोध्या में होने वाले इस महा आयोजन में भांचा राम के ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ से 300 मैट्रिक टन चावल भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हरी झंडी दिखाकर चावल से भरे ट्रकों को रवाना करेंगे।

छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने बताया भगवान श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में उत्साह है। इस खास अवसर के लिए 28 दिसंबर को छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन चावल भेजेगा। इस भव्य आयोजन में होने वाले भंडारे में प्रदेश के सभी राईस मिलर्स मिलकर अच्छी किस्म का चावल भेजेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल होंगे। 28 दिसंबर के दिन ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा।

महाभंडारे में श्रद्धालु करेंगे प्रसाद ग्रहण
राइस मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि अयोध्या में होने भगवान रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में देशभर से श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचेंगे। आयोजन समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए महा भंडारे का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम को सफल बनाने देशभर में तैयारियां चल रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के बैनर तले सभी राइस मिलर्स मिलकर 300 मैट्रिक टन चावल भेजेंगे। यह चावल भंडारे में काम आएगा। इसके अलावा कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों द्वारा अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में सामग्री भेजने और जाने की तैयारियां चल रही है।

देशभर में अक्षत वितरण का काम चल रहा
अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हजारों साधु-संतों की मौजूदगी में होना है। अभी देशभर में अक्षत वितरण का काम चल रहा है। छत्तीसगढ़ में अक्षत कलश यात्रा निकाली जा रही है। श्रीराम मंदिर में भगवान विराजमान होने वाले है, इससे पहले न्योता देने अयोध्या धाम से अक्षत कलश तैयार कर हर राज्य के गांवों तक भेजा गया है। इस ऐतिहासिक मौके पर देश के साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आएंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है। दरअसल, माता कौशल्या का मायका पुरातन कौसल प्रदेश यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ है।

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