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Tuesday, February 11, 2025

750 करोड़ के महाघोटाले में नपेंगे कई IAS, नोटिस भेजने की तैयारी में ACB-EOW, मोक्षित कॉर्पोरेशन का डायरेक्टर गिरफ्तार…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के दवा घोटाले मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने बड़ा एक्शन लिया है। लंबी पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू ने मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो की विशेष कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के लिए ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेज दिया है। तीन दिन पहले एजेंसी ने 750 करोड़ की घोटाले को लेकर छापेमारी भी की थी। स्वास्थ्य विभाग में हुए इस घोटाले में कई आईएएस अफसरों जांच के घेरे में हैं। बिना सांठगांठ और राजनीतिक संरक्षण के यह महाघोटाला हो ही नहीं सकता।

मेडिकल इक्यूपमेंट घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू-एसीबी ने रायपुर, दुर्ग और हरियाणा के पंचकुला में 16 से अधिक दवा सप्लायरों के ठिकानों पर रेड मारी थी। दुर्ग में मोक्षित कॉरपोरेशन में ईओडब्ल्यू- एसीबी ने दबिश दी थी। शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा के घर और ऑफिस में जांच की जा रही है। चोपड़ा फैमिली सरकारी मेडिकल एजेंसी में दवाइयों का सप्लाई करने का काम करती हैं। एक दर्जन से अधिक अधिकारी इस कार्रवाई में शामिल रहे। यह मामला रीएजेंट खरीदी से जुड़ा हुआ है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने आर्थिक अपराध से जुड़े इस मामले में 22 जनवरी 2025 को अपराध दर्ज किया है। यह घोटाला पांच सालों तक चला, जिसे लेकर विधानसभा में भारी हंगामा हुआ था।

विधानसभा में उठा था घोटाले का यह मामला
प्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुई इस खरीदी में सप्‍लायर को करीब 100 गुना ज्‍यादा भुगतान किया गया है। कांग्रेस सरकार में हुई इस खरीदी के लिए भुगतान मौजूदा सरकार ने किया है। यह मामला सत्‍ता पक्ष के विधायकों की तरफ से विधानसभा में भी उठाया गया था। इसके बाद सदन में ही स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद एसीबी ने इस मामले में अपराध दर्ज किया और जांच कार्रवाई शुरू हुई है। एसीबी के एफआईआर में इसे महाघोटाला बताया है और घोटाले में सरकार को 750 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही है।

एफआईआर के बाद महकमें में मचा हड़कंप
एफआईआर में ईओडब्ल्यू ने दवा निगम के महाघोटाले को 750 करोड़ रुपये का बताया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़े जिम्मेदारों ने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन नहीं किया। एसीबी की जांच में केवल दवा सप्लायर मोक्षित कॉपोरेशन से जुड़े अफसर ही नहीं आ रहे हैं। इस महाघोटाले में कुछ आधा दर्जन आईएएस सहित स्वास्थ्य संचालनायल से जुड़े अफसर भी चपेटे में आएंगे। सूत्रों के अनुसार दर्जनभर अफसरों को जल्द पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा। उन्हें नोटिस भेजने की तैयारी भी चल रही है। एफआईआर के बाद हड़कंप मचा हुआ है।

महाघोटाले में शामिल लोगों की जल्द होगी गिरफ्तारी
एसीबी-ईओडब्ल्यू के डीएसपी संजय देवस्थले की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में ईओडब्ल्यू ने स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है। एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है। एफआईआर में मोक्षित कार्पोरेशन गंजपारा दुर्ग, सीबी कॉर्पोरेशन जीई रोड दुर्ग, रिकार्डर्स एवं मेडिकेयर सिस्टम पंचकुला हरियाणा, शारदा इंडस्ट्रीज ग्राम तर्रा रायपुर व अन्य के नाम हैं। इतना बड़ा महाघोटाला बगैर सांठगांठ और राजनीतिक संरक्षण के संभव ही नहीं है। इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं। इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां भी होंगी।

दो दिन पहले एसीबी ने मारा था छापा
छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में रीएजेंट सप्लाई में गड़बड़ी को लेकर निशाने पर रहे दुर्ग के मोक्षित कार्पोरेशन पर ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने ताबड़तोड़ छापे मारे। अलग -अलग टीमों ने एमडी शशांक गुप्ता के बंगले, फैक्ट्री और पार्टनरों सहित दुर्ग-भिलाई के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी यह मामला उठा था। उसके बाद एसीबी, ईओडब्ल्यू ने 22 जनवरी को मोक्षित कार्पोरेशन के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। छापे की कार्रवाई में एसपी- डीएसपी रैंक के अफसरों के अलावा छत्तीसगढ़ मोडिकल सर्विसेस के साथ संचालनालय, स्वास्थ्य विभाग के अफसर शामिल रहे। दुर्ग के गंजपारा स्थित मोक्षित कार्पोरेशन के साथ जीई रोड स्थित सीबी कार्पोरेशन, हरियाणा के पंचकुला, रायपुर के धरसीवां, तर्रा स्थित श्री शारदा इंडस्ट्रीज में एसीबी- ईओडब्लू की टीम ने जांच पड़ताल की थी।

शराब-कोल स्कैम जैसा बड़ा घोटाला किया गया
ईओडब्ल्यू की जांच में यह बात भी सामने आ चुकी है कि अफसरों की मिलीभगत से राज्य शासन को अरबों रुपये की चपत लगाई गई है। छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा, डीएमएफ घोटाला, कोल स्कैम और शराब घोटाले की तरह यह भी बड़ा घोटाला है। भ्रष्टाचार के इस मामले में एसीबी ने कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा-409, 120 बी तथा 13(1) ए, सहपठित धारा 13 (2), 7 (सी) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत अपराध दर्ज किया है। अब बड़े अफसर भी जांच के दायरे में आएंगे। आने वाले दिनों में कई बड़े चेहरे भी बेनकाब होंगे।

उपकरण ऐसे केंद्र में भेजे जहां रखने की जगह नहीं
आरोप है कि मोक्षित कार्पोरेशन ने अपनी पहुंच के आधार पर अफसरों पर दबाव डालकर प्रदेश के 30 जिलों के साथ 750 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 170 स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट आपूर्ति करने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रीएजेंट्स संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई करने का आरोप है।

दवा के एक्सपायर होने से कुछ दिन पहले सप्लाई
मोक्षित कार्पोरेशन की रीएजेंट तथा मशीन आपूर्ति कराने में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में भी उठा था। रीएजेंट तथा मशीन आपूर्ति कराने वाली कंपनी के खिलाफ पांच साल में 750 करोड़ रुपये से ज्यादा के गड़बड़ी करने का आरोप है। यह भी आरोप है कि कंपनी ने मशीन तथा रीएजेंट मार्केट दर से कई गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जहां जरूरत नहीं थी, वहां सप्लाई करने से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। रीजेंट्स एक्सपायर हो गए। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी स्वास्थ्य विभाग की खरीदी को लेकर भारी हंगामा हुआ था। स्वास्थ्य मंत्री ने इस पूरे मामले की जांच की घोषणा की थी, जिसके बाद अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं। एसीबी जांच भी जारी है।

दूसरी कंपनियों को टेंडर में जाने ही नहीं दिया
दवा सप्लाई करने वाले मोक्षित कार्पोरेशन ने मार्च-अप्रैल 2023 में स्वास्थ्य केंद्रों में मशीन तथा रीएजेंट आपूर्ति करने का काम शुरू किया है। कंपनी पर यह भी आरोप है, टेंडर प्रक्रिया में कोई दूसरी कंपनी शामिल न हो पाए इसलिए मोक्षित कार्पोरेशन पर शेल कंपनी बनाकर टेंडर लेने फार्म जमा किया जाता था। कोई अन्य कंपनी टेंडर में शामिल होता था, उस कंपनी को तकनीकी कारण बताकर टेंडर से बाहर कर दिया जाता था।

5 लाख रुपये का सामान 17 लाख रुपये में बेचा
ब्लड सैंपल लेने के काम आने वाला ट्यूब ईडीटीए बाजार में महज साढ़े आठ रुपये में मिलता है, लेकिन उस ट्यूब को मोक्षित कार्पोरेशन ने 2 हजार 352 रुपये में उपलब्ध कराया था। इसी तरह सीबीसी मशीन जिसकी कीमत पांच लाख रुपये है, उस मशीन को मोक्षित कार्पोरेशन ने तीन गुना से ज्यादा कीमत 17 लाख रुपये में प्रदेश के अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराने का काम किया है। रीएजेंट में ही 660 करोड़ रुपये की गड़बड़ी करने का आरोप है।

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