नई दिल्ली। जी-20 देशों के नई दिल्ली घोषणापत्र में शनिवार को सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया। यूक्रेन में व्यापक, न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति के लिए पहल की वकालत की गई। शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने घोषणा पत्र में कहा कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या इसकी धमकी अस्वीकार्य है।
मोदी ने कहा कि ‘यूक्रेन में युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को याद करते हुए हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपनाए गए अपने राष्ट्रीय रुख और प्रस्तावों को दोहराया और इस बात को रेखांकित किया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप तरीके से काम करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय कब्जे की मांग करने के लिए धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए।’
संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान और संवाद जरूरी
खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए G20 नेताओं ने सैन्य विनाश या प्रासंगिक बुनियादी ढांचे पर अन्य हमलों को रोकने का आह्वान किया। सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और शांति एवं स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बरकरार रखने का आह्वान किया गया है। दस्तावेज में कहा गया है कि संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान और संकटों के समाधान के प्रयासों के साथ-साथ कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं।
‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का स्वागत
घोषणा पत्र में कहा गया, हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने के अपने प्रयास में एकजुट होंगे और यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों का स्वागत करेंगे, जो ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना में राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों को बनाए रखेगा।
घोषणा का 83 वां पैरा, बहुत सारे विषय शामिल
यूक्रेन मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचना कितना मुश्किल था, इस बारे में एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह घोषणा का 83 वां पैरा है, इसमें बहुत सारे विषय शामिल हैं, लेकिन जाहिर है कि चल रहे संघर्ष और इस पर अलग-अलग विचारों के कारण पिछले कुछ दिनों में भू-राजनीतिक मुद्दों के संबंध में काफी समय बिताया गया जो ज्यादातर यूक्रेन में युद्ध के आसपास केंद्रित थे।
आम सहमति बनाने हर कोई एक साथ आया
यह पूछे जाने पर कि किन देशों ने यूक्रेन संघर्ष पर आम सहमति बनाने में मदद की, उन्होंने कहा, ‘वास्तव में… हर किसी ने मदद की। आम सहमति बनाने के लिए हर कोई एक साथ आया, लेकिन उभरते बाजारों ने इस पर एक विशेष बढ़त ली और हम में से कई लोगों का एक साथ काम करने का एक मजबूत इतिहास है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि किसने मदद की, इसके बजाय एक साझा लैंडिंग प्वाइंट तय किया गया। (साभार- अमर उजाला)