रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत से कांग्रेस की भरोसे की सरकार भले ध्वस्त हो गई, लेकिन भूपेश बघेल ने किसानों के दिल में जगह बनाई है। छत्तीसगढ़ियावाद और छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ाने का श्रेय उन्हें मिलना ही चाहिए। चुनाव में जनादेश ने सभी को चौका दिया। बदले राजनीतिक समीकरण को लेकर सिर्फ राजनीतिक दल से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि आम जनता और खासकर किसान भी चिंतन कर रहे हैं। पिछले 5 साल में कई ऐतिहासिक काम करने के बाद भी आखिर भूपेश बघेल की सरकार क्यों बदल गई। घोषणा पत्र भी भाजपा की तुलना में कांग्रेस का भारी था, इसके बाद भी लोगों ने कांग्रेस को क्यों नकार दिया। धान का कटोरा कहलाए जाने वाले छत्तीसगढ़ में खेती का सम्मान फिर से लौटा है। पूरे देश में जब खेती का रकबा घटा रहा है, तब अकेले छत्तीसगढ़ में रकबा बढ़ा है। दुनिया के पेट को रोटी देने वाला अन्नदाता अगर आज खुश है तो इससे बड़ी बात कोई और दूसरी नहीं हो सकती।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भले नहीं बनी, लेकिन भूपेश बघेल ने किसानों के दिलों में अपनी जगह जरूर बना ली। खासतौर पर धान की कीमत बढ़ाने को लेकर भूपेश बघेल की सरकार का नाम हमेशा सुर्खियों में रहेगा। इसी धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने और बोनस की जगह राजीव गांधी न्याय योजना से इनपुट सब्सिडी देने की घोषणा से किसानों ने एकतरफा वोट देकर 2018 में सरकार बनाई थी। भूपेश बघेल के 5 साल के कार्यकाल में कई अच्छी योजनाएं भी आई, जिसे लोग याद कर रहे हैं। इस मामले में किसान वर्ग सबसे आगे हैं। किसानों का कहना है कि भूपेश बघेल ने ही आज धान की कीमत बढ़ाई है। यदि भाजपा आज 3100 रुपये दे रही है तो इसका श्रेय भी भूपेश बघेल को ही दिया जाना चाहिए, क्योंकि यदि भूपेश बघेल धान की कीमत 2800 नहीं करते तो शायद भाजपा भी धान की कीमत इतनी नहीं देती। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम उनकी सरकार ने बेहतर किया है। इधर इन 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान कई आरोप भी भाजपा नेता भूपेश सरकार पर लगाते रहे।
कर्ज माफी और धान की कीमत से जीता दिल
5 साल पहले धान की कीमत 1700 रुपये मिलती थी, जिसे भूपेश बघेल ने 2500 रुपये किया और उसके बाद इस बार 2800 किया था। इसके बाद ही भाजपा ने 3100 रुपये देने का वादा किया। इसके अलावा 5 साल पहले जो ऋण माफी की थी, इससे किसान काफी सुदृढ़ हुए थे। अधिकतर किसानों का यही मानना है कि कर्ज माफी से ज्यादा प्रभावशाली धान की कीमत बढ़ाना रहा, क्योंकि बढ़ी हुई कीमत हर साल मितती रही। इससे किसानों को फायदा बढ़ा, खेती की तरफ रुझान बढ़ा और खेती की रकबा भी बढ़ा। तीज-त्यौहारों के समय इनपुट सब्सिडी की बड़ी रकम खातों में पहुंचती रही। किसानों की होली, दिवाली भी अच्छी मन रही थी, वहीं खेती के लिए समय पर पैसा भी मिल रहा था। किसानों का यही मानना है कि 5 साल में भूपेश बघेल सरकार ने धान उत्पादक किसानों के लिए बहुत किया।
अंग्रेजी स्कूल आत्मानंद भी रही बड़ी उपलब्धि
गांव के किसानों, गरीबों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दिलाने शुरू किए गए स्वामी आत्मानंद स्कूल भी भूपेश बघेल की बहुत बड़ी उपलब्धि रही है। सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत किसी से छिपा नहीं है। मध्यम और गरीब तबके के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों से जोड़ने में कामयाब हुए। गरीब वर्ग के बच्चे इंग्लिश मिडियम स्कूलों में पढ़ने का सपना भी नहीं देख सकते थे। इस अवधारणा को खत्म करते हुए गांव के गरीब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में भर्ती करने की सोच केवल भूपेश बघेल ने ही बदली थी। वहीं इस बार अपने घोषणा पत्र में केजी से लेकर पीजी तक मुफ्त की शिक्षा देने वाले थे, यह भी एक बड़ी सौगात हो सकती थी।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने किया काम
भूपेश बघेल का कार्यकाल इस मायने में भी यादगार रहेगा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाने और आगे बढ़ाने उन्होंने कई काम किए हैं। उन त्यौहारों में भी छुट्टी दी जाती रही, जिसे बहुत महत्व नहीं दिया जाता था। छत्तीसगढ़ी पारंपरिक खेलों को लोगों के जेहन में फिर से बिठाने लगातार विभिन्न योजनाएं चलाई। छत्तीसगढ़ी त्यौहारों को भी पारंपरिक तरीके से मनाने उन्होंने एक अभियान छेड़ दिया था। बोरे बासी और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक से छत्तीसगढ़ी खेलों को पहचान दिलाई। सबसे बड़ी बात यह रही कि छत्तीसगढ़ बनने के 18 साल बाद किसी गीत को राजगीत का दर्जा मिला। अरपा पैरी की धार… गीत में छत्तीसगढ़ की संस्कृति का बखान किया गया है।
सोशल मीडिया में भूपेश के कामों की चर्चा
सोशल मीडिया के व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक में इन दोनों भाजपा की सरकार बनने को लेकर कई तरह के उत्साह जनक संदेश आ रहे हैं। वहीं भूपेश बघेल के कार्यों का बखान करते हुए भी कई संदेश प्रसारित हो रहे हैं। अमुमन इन संदेशों में यही बात कही जा रही है कि भूपेश बघेल ने किसानों, गांव, गरीब, युवाओं के लिए बहुत काम किया, लेकिन इसका प्रतिफल उन्हें नहीं मिला। छत्तीसगढ़ संस्कृति को बचाने और संवारने लगातार प्रयासरत रहे, लेकिन इसका फल उन्हें नहीं मिला। कई लोग तो यह भी कटाक्ष कर रहे हैं कि अब छत्तीसगढ़ के लोगों को छत्तीसगढ़िया राज नहीं चाहिए। कोई यह लिख रहे हैं कि किसानों को कर्ज माफी की जरूरत नहीं है। किसी ने लिखा है, छत्तीसगढ़ के लोगों को बाहरी लोगों के रहमोकरम पर जीने की आदत पड़ गई है। कोई कह रहा छत्तीसगढ़ के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम रास नहीं आ रहा है।